फाल्गुन पूर्णिमा 2025:- फाल्गुन माह में क्या करें और क्या न करें

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फाल्गुन पूर्णिमा 2025:-

हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह हिन्दू वर्ष का अंतिम महीना हो जाता है। फाल्गुन मास के समाप्त होते ही हिन्दू नववर्ष आरम्भ हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह महीना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस महीने में बहुत से महत्वपूर्ण त्योहार पड़ते हैं जिसमें महाशिवरात्रि और होली प्रमुख है।  आइए जानते हैं कि फाल्गुन माह कब से शुरू होगा और इस महीने का क्या महत्व है।

फाल्गुन पूर्णिमा 2025 का महत्व क्या :-

सनातन धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा का खास महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब और अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा इस दिन दान और पुण्य का भी महत्व है। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का महत्व इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन से नए साल की शुरुआत होती है। फाल्गुन मास साल का आखिरी महीना होता है। वहीं फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि साल का आखिरी दिन होता है। पूर्णिमा तिथि के अगले दिन से नया साल शुरू होगा. पंचांग के अनुसार साल के आखिरी दिन होलिका दहन किया जाता है और नए साल का पहला दिन यानी चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को होली मनाई जाती है।

फाल्गुन पूर्णिमा 2025 तारीख और समय:-

फाल्गुन माह 2025 कब से शुरू होगा? । फाल्गुन पूर्णिमा की शुरुआत 13 मार्च को गुरुवार सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर हुई थी। फाल्गुन पूर्णिमा का समापन 14 मार्च को शुक्रवार दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर हुआ था।

फाल्गुन पूर्णिमा2025 पर पूजा विधि :-

सुबह उठकर पवित्र स्नान करें। गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु की पूजा करने का संकल्प लें। भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को पीले कपड़े से सजाकर स्थापित करें। पंचामृत से स्नान करवाएं गोती चदन का तिलक कसे लगाए। भगवान विष्णु को पीले फूल, धूप, अक्षत, कपूर, रंग, गुलाल आदि अर्पित करें। भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएं। भगवान विष्णु की आरती करें। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। भगवान सत्यनारायण कथा का पाठ करें। अंत में आरती से अपनी पूजा को समापन करे और शखनाद पूजा के बाद अवश्य करें। पूजा के दौरान हुई मत्र गलतीयों के लिए क्षमा भांगे। जल में सफ़ेद फूल, दूध, और चावल मिलाकर अर्घ्य दें। दान और पुण्य करें। गरीबों को कपड़े, दक्षिणा, भोजन, और अन्न दान करें। धार्मिक स्थलों पर दर्शन करें। फाल्गुन पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है।

फाल्गुन पूर्णिमा 2025 उपाय:-

इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन ध्यान और साधना करना लाभकारी माना जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करना चाहिए। इस दिन गोदान, अन्नदान, और जलदान का महत्व है। इस दिन शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन भगवान चंद्रमा की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन गाय की सेवा करना भी महत्वपूर्ण है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन व्रत रखने से दुखों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। इस दिन चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करना चाहिए। इस दिन मंदिर में जाकर लक्ष्मी को इत्र और सुगंधित अगरबत्ती अर्पण करनी चाहिए।

फाल्गुन माह में क्या करें और क्या न करें :-

फाल्गुन माह में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान, प्रतिदिन शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए और पूजा के समय शंकर जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही, सामर्थ्य अनुसार दान भी करना आवश्यक है। मान्यता है कि इस माह में दान करने से जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और धन लाभ के अवसर भी बढ़ते हैं। फाल्गुन माह में भगवान चंद्रमा की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। इस माह में गाय की सेवा करना भी महत्वपूर्ण है।

फाल्गुन माह के दौरान मांस, मदिरा और शराब का सेवन बिल्कुल न करें। किसी के प्रति नकारात्मक विचार न रखें। अपने घर और मंदिर को साफ-सुथरा रखें।

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