Phalguna Purnima 2023 Details:- फाल्गुन हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार हिन्दू वर्ष का सबसे अंतिम माह होता है। यह मास फरवरी और मार्च में आता है। फाल्गुन पूर्णिमा का दिन हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व बताया गया है। पूर्णिमा का व्रत हर मास को रखा जाता है और अलग-अलग विधियों द्वारा भगवान की पूजा की जाती है। परन्तु फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत विशेष माना जाता है। इस दिन होलिका का दहन भी किया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद रक्षा की थी औरे होलिका राक्षसी को भस्म किया था।
Phalguna Purnima 2023:- फाल्गुन पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा व्रत 7 मार्च को रखा जायेगा। इस दिन होलिका का दहन भी किया जायेगा। इस फाल्गुन पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है :-
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का आरंभ – दोपहर 04 बजकर 17 मिनट से (6 मार्च, 2023)
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का समाप्त – शाम 06 बजकर 09 मिनट तक (7 मार्च, 2023)
Phalguna Purnima 2023:- फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा आकाश में अपनी संपूर्ण कलाओं से पूर्ण होता दिखाई देता है। हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूर्णिमा का अपना अलग महत्व होता है और हर पूर्णिमा का पूजन में थोड़ी-थोड़ी भिन्नता भी दिखाई दे सकती है। लेकिन इसकी महत्ता सदैव एक स्वरुप में विद्यमान होती है। इस तिथि पर पूजा-पाठ, दान, पवित्र नदियों एवं धर्म स्थलों पर स्नान-दान का अत्यंत शुभदायक बताया गया है। यह जीवन और प्रकृति के साथ हमारे संबंधों की घनिष्ठा को भी पूर्णता देता है। पूर्णिमा तिथि के दिन गंगा व यमुना नदि के तीर्थस्थलों पर स्नान और दान करना मोक्षदायी एवं पुण्यदायी माना गया है।
इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन किया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा की कथा होली पर्व को भी दर्शाती है। यह कथा राक्षस हरिण्यकश्यपु और प्रह्लाद से संबंध रखती है। इस कथा अनुसार हरिण्यकश्यपु अपने पुत्र प्रह्लाद को मृत्युदण्ड देना चाहता है, क्योंकि उसका पुत्र श्री विष्णु का भक्त था और हरिण्यकश्यपु को ये बात सहन नहीं थी। वह श्री विष्णु को अपना शत्रु मानता था और जो भी श्री विष्णु की भक्ति करता उन्हें वह कष्ट व यातनाएं देता था। ऎसे में जब उसका पुत्र प्रह्लाद श्री विष्णु की भक्ति करता है तो वह अपने पुत्र से नफरत करने लगता है, और अनेक प्रकार के कष्ट देता है। पर श्री विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कोई कष्ट नहीं होता है।
इस कारण हरिण्यकश्यपु अपनी बहन होलिका को ब्रह्मा से मिले वरदान का लाभ उठाने को कहता है। होलिका को वरदान मिला था की वह अग्नि में नहीं जल सकती उसका अग्नि कुछ खराब नहीं कर सकती है। ऎसे में राक्षसी होलिका, प्रह्लाद को जलाने के लिए अग्नि में बैठ जाती है। पर श्री हरि की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहता है और होलिका जल जाती है।
इसलिए प्राचीन समय से ही फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन व पूजन किया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लकड़ी-उपलों से होलिका का निर्माण किया जाता है। शुभ मुहूर्त समय के दौरान होलिका दहन किया जाता है और पूजन संपन्न होता है।
Phalguna Purnima 2023:- फाल्गुन पूर्णिमा का होलिका दहन और होली से संबंध
फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि में होलिका दहन किया जाता है और फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन होली का त्योहार मनाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका फाल्गुन पूर्णिमा की रात भक्त प्रह्लाद को अपने साथ लेकर अग्नि में प्रवेश की थी। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गए और होलिका वरदान के वाबजूद जलकर मर गई।
यह दिन असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। इस वजह से हर साल फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका दहन होता है और अगले दिन सुबह रंगों का त्योहार होली मनाते हैं।
Phalguna Purnima 2023:- फाल्गुन पूर्णिमा पूजा विधि
हर माह की पूर्णिमा पर उपवास और पूजन की परंपरा लगभग समान है। हालांकि कुछ विशेषताएँ भी होती हैं। फाल्गुन पूर्णिमा पर भगवान श्री कृष्ण का पूजन होता है।
- पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें और उपवास का संकल्प लें।
- सुबह सूर्योदय से लेकर शाम को चंद्र दर्शन तक उपवास रखें। रात्रि में चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए।
- इस दिन स्नान, दान और भगवान का ध्यान करें।
- नारद पुराण के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा को लकड़ी व उपलों को एकत्रित करना चाहिए। हवन के बाद विधिपूर्वक होलिका पर लकड़ी डालकर उसमें आग लगा देना चाहिए।
- होलिका की परिक्रमा करते हुए हर्ष और उत्सव मनाना चाहिए।