पौष पूर्णिमा 2025:-
पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान हर माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होता है। कई बार पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान एक ही दिन होते हैं, कभी-कभी ये अलग-अलग दिन होते हैं। पूर्णिमा व्रत एक दिन पहले और स्नान दूसरे दिन होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, एक साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं, लेकिन हिंदू कैलेंडर केअनुसार, जब अधिकमास होता है तो उस साल 1 साल में 13 पूर्णिमा तिथियां होती हैं। पूर्णिमा व्रत के दिन सत्यनारायण भगवान, माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करते हैं, जबकि पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, उसके बाद दान करते हैं। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है.
पौष पूर्णिमा 2025 महत्व:-
पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, मान्यता है कि इस तिथि पर माता लक्ष्मी का समुद्र मंथन से प्राकट्य हुआ था। इस दिन व्रत करके पूजा पाठ करने और सत्यनारायण कथा सुनने मात्र से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है और धन संपत्ति में अच्छी वृद्धि होती है। इस दिन किए गए अच्छे कार्यों को फल कई गुना बढ़कर मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पूर्णिमा का दिन प्रकृति की शक्ति का प्रतीक भी बनता है दरअसल पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से समुद्र में ऊंचे ऊंचे ज्वार आते हैं। इसके अलावा यह दिन सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक शांति प्राप्त करने के लिए उत्तम माना जाना है।
पौष पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त :-
साल 2025 में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को है। यह दिन सोमवार है।वैदिक पंचांग के मुताबिक, पौष पूर्णिमा की शुरुआत 13 जनवरी को सुबह 5:03 बजे होगी और इसका समापन 14 जनवरी को देर रात 3:56 बजे होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है, इसलिए पौष पूर्णिमा का त्योहार 13 जनवरी को ही मनाया जाएगा।
पौष पूर्णिमा 2025 पूजा सामग्री और पूजा विधि:-
पौष पूर्णिमा पर पवित्र स्नान करने से पहले उपवास का संकल्प लें। पवित्र नदी, कुएं या कुंड में डुबकी लगाने से पहले वरुण देव को प्रणाम करें। मंत्रों का जाप करते हुए भगवान सूर्य को पवित्र जल अर्पित करें। उसके बाद भगवान कृष्ण की पूजा करें और उन्हें पवित्र भोग या नेवैद्य अर्पित करें। मंदिर को साफ़ करके गंगाजल छिड़कें। भगवान सूर्य को लाल फूल चढ़ाकर जल अर्पित करें। घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करके धूप-दीप जलाएं। भगवान विष्णु को पीले रंग का फल, हल्दी, जौ, अक्षत आदि चढ़ाएं। मां लक्ष्मी को लाल फूलों की माला, चुनरी, और श्रृंगार चढ़ाएं। भगवान विष्णु की पूजा के बाद विष्णु चालीसा का पाठ करें। इसके बाद आरती करें और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को भोग लगाएं। अंत में प्रसाद का वितरण करें। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें। किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-पुण्य करें।
पौष पूर्णिमा 2025 दान स्नान और उपाय :-
लक्ष्मी-नारायण की पूजा
पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें और फल व खीर का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। इसके साथ ही पूर्णिमा के दिन कनकधारा स्त्रोत, श्री सूक्त और विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी और धन का आगमन भी हो सकता है। शाम के समय जल में थोड़ा कच्चा दूध,चावल और चीनी मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से आप पर चंद्रमा की सदैव कृपा बनी रहती है।
पितरों का तर्पण करें
पौष माह में अमावस्या, संक्रांति, पूर्णिमा, एकादशी पर विशेषकर पितरों के निमित्त श्राद्ध करने से पितृ दोष दूर होता है व जीवन के दुःख-दर्द दूर होते है। अगर आप इस दिन पितरों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो पौष पूर्णिमा के दिन पितरों का तर्पण अवश्य करें। इससे पितृ प्रसन्न हो सकते हैं और व्यक्ति की सभी मनोकामना भी पूरी होती हैं।
दान अवश्य करें
सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए इस दिन अन्न, दूध, फल, चावल, तिल, गर्म वस्त्र और आवंले का दान करें। इस दिन ब्राह्मण, बहन और बुआ को अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र और दक्षिणा अवश्य दें।पौष पूर्णिमा के दिन ये उपाय करने से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। सुबह स्नान करके साफ़ कपड़े पहनें और माता लक्ष्मी को हल्दी का तिलक लगाएं। कुछ रुपये पर हल्दी लगाकर मां लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें और अगले दिन तिजोरी में रख दें। पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाएं। मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और कन्याओं को प्रसाद बांटें।आधी रात को घी का दीपक जलाएं और लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें। पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं। पति-पत्नी को चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देना चाहिए। चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर अर्घ्य दें। मां लक्ष्मी के चित्र पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें। अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें। मंदिर में जाकर मां लक्ष्मी को इत्र और सुगंधित अगरबत्ती अर्पित करें।