Papmochani Ekadashi 2024 Details:- पापमोचनी एकादशी हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। वर्ष में लगभग 24 से 26 एकादशी होती है और प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है, इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का भी है। पापमोचनी एकादशी के नाम से ज्ञात होता है कि यह पापों से मुक्ति कराने वाला व्रत है। इस व्रत का वर्णन ‘भविष्योत्तर पुराण’ और ‘हरिवासर पुराण’ में किया गया है। हिन्दू धर्म में ‘पाप’ का अर्थ ऐसे कर्म जो गलत होते हैं। ‘मोचनी’ का अर्थ, मुक्ति करना है।
ऐसा माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी सभी पापों को नाश करती है और पापमोचनी एकादशी का व्रत पूरी भक्ति से करने वाले व्यक्ति को कभी भी राक्षसों या भूतों का डर नहीं होता हैं। पापमोचनी व्रत को अत्यंत शुभ माना जाता है।
पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। सबसे पहले पापमोचनी व्रत के बारे में राजा मानधाता को ऋषि लोमसा ने बताया था। फिर पापमोचनी एकादशी के महत्व के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को बताया था। जिसके यह व्रत प्रचलित हुआ है।
Papmochani Ekadashi 2024:- पापमोचनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
साल 2024 में 5 अप्रैल को शनिवार के दिन पापमोचनी एकादशी होगी। इस दिन रखे गए व्रत को सभी व्रतों में उत्तम माना गया है, जिससे सभी पापों से मनुष्य मुक्त हो जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में किए गए स्नान को बहुत शुभ माना गया है। इस दिन व्रत और पूजा को हिंदू पंचांग के अनुसार बताई गई तिथि और शुभ मुहूर्त पर करना चाहिए। आइए जानें शुभ मुहूर्त और हरि वासर आदि का समय।
पापमोचनी एकादशी 2024
शुक्रवार, 05 अप्रैल 2024
एकादशी तिथि प्रारंभ : 04 अप्रैल 2024 को शाम 04:14 बजे
एकादशी तिथि समाप्त : 05 अप्रैल 2026 को दोपहर 01:28 बजे
व्रत पारण का समय : 06 अप्रैल 06:05 AM – 08:37 AM
इन मुहूर्तों को ध्यान में रखकर की गई पूजा और व्रत से सामान्य दिनों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है और भगवान श्री विष्णु भी शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों को आर्शीवाद देते हैं। द्वादशी के दिन पारणा मुहूर्त भक्तों द्वारा व्रत खोलने के लिए सबसे शुभ समय है। इसलिए पारणा के शुभ मुहूर्त में खोला गया व्रत पूर्ण माना जाता है।
Papmochani Ekadashi 2024:- पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि :
- इस शुभ दिन पर, भक्तों को जल्दी उठना चाहिए और उन्हें स्नान करना चाहिए।
- इसके बाद भक्तों को मंदिर के सामने वेदी बनानी चाहिए। वेदी को 7 वस्तुओं से बनाया जाना चाहिए जो हैं – उडद दाल, मूंग दाल, गेहूं, चना दाल, जौ, चावल और बाजरा।
- इसके बाद, भक्तों को वेदी पर एक कलश रखना चाहिए और 5 आम के पत्ते लेकर कलश पर रख दें।
- अब, भक्तों को वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करने की आवश्यकता है।
- अब, भक्तों को भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने प्रार्थना करनी चाहिए।
- इसके बाद, भक्तों को आरती करनी चाहिए और उन्हें रात में अपना उपवास खोलना चाहिए।
Papmochani Ekadashi 2024:- पापमोचिनी एकादशी व्रत से मिलेंगे ये 6 लाभ
- इस व्रत को करने से मनुष्य जहां विष्णु पद को प्राप्त करता है वहीं उसके समस्त कलुष समाप्त होकर निर्मल मन में श्रीहरि का वास हो जाता है।
- पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
- पापमोचिनी एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु का ध्यान करें, इस दिन अगर रात्रि जागकर ध्यान और भजन-कीर्तन किया जाए तो हजार वर्षों तक की गई तपस्या का फल प्राप्त होता है तथा घर में सुख-शांति और तरक्की के अवसर मिलते हैं।
- पापमोचिनी एकादशी पापों से मुक्त करती है। अत: चैत्र कृष्ण एकादशी को पूरे मनपूर्वक यह व्रत करें तो सब पाप नष्ट हो जाते हैं।
- पापमोचिनी एकादशी पर धर्म-कर्म, अनुष्ठान तथा ब्रह्मचर्य रहकर तपस्या करने से जीवन में तप और तेज की प्राप्ति होती है।
- पापमोचनी एकादशी की कथा वाचन से समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं।
Papmochani Ekadashi 2024:- पापमोचनी एकादशी का महत्व :
पापमोचनी इस एकादशी के नाम से ही यह सिद्ध होता है, पापों का नाश करने वाली। जो मनुष्य तन मन की शुद्धता और नियम के साथ पापमोचनी एकादशी का व्रत करता है और जीवन में गलत कार्यों को न करने का संकल्प करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। जिससे उसे सभी दुखों से छुटकारा मिलता है और मनुष्य को मानसिक शांति प्राप्ति होती है। पाप मोचनी एकादशी का व्रत करने वाला व्यक्ति शांतिपूर्ण और सुखी जीवन व्यतीत करता है।
Papmochani Ekadashi 2024:- पापमोचनी एकादशी व्रत कथा:
कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने स्वयं अर्जुन को पापमोचनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था। इस कथा के अनुसार, राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से जब पूछा कि अनजाने में हुए पापों से मुक्ति कैसे हासिल की जाती है? तब लोमश ऋषि ने पापमोचनी एकादशी व्रत का जिक्र करते हुए राजा को एक पौराणिक कथा सुनाई थी। कथा के अनुसार, एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वन में तपस्या कर रहे थे। उस समय मंजुघोषा नाम की अप्सरा वहां से गुजर रही थी। तभी उस अप्सरा की नजर मेधावी पर पड़ी और वह मेधावी पर मोहित हो गईं। इसके बाद अप्सरा ने मेधावी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ढेरों जतन किए।
मंजुघोषा को ऐसा करते देख कामदेव भी उनकी मदद करने के लिए आ गए। इसके बाद मेधावी मंजुघोषा की ओर आकर्षित हो गए और वह भगवान शिव की तपस्या करना ही भूल गए। समय बीतने के बाद मेधावी को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने मंजुघोषा को दोषी मानते हुए उन्हें पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। जिससे अप्सरा बेहद ही दुखी हुई।
अप्सरा ने तुरंत अपनी गलती की क्षमा मांगी। अप्सरा की क्षमा याचना सुनकर मेधावी ने मंजुघोषा को चैत्र मास की पापमोचनी एकादशी के बारे में बताया। मंजुघोषा ने मेधावी के कहे अनुसार विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। पापमोचनी एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से उसे सभी पापों से मुक्ति मिल गई। इस व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा फिर से अप्सरा बन गई और स्वर्ग में वापस चली गई। मंजुघोषा के बाद मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और अपने पापों को दूर कर अपना खोया हुआ तेज पाया था।