नाग पंचमी क्यों मनाया जाता है ?? और इसके क्या महत्व: जानिए!!

Nag-panchami

हिंदू धर्म में नागों की पूजा का बहुत ही बड़ा महत्व है l सावन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है l इस दिन नागों की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फल प्राप्त होने की मान्यता है l
इस बार नाग पंचमी का पर्व 13 अगस्त दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा l नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का विशेष महत्व माना गया गया है l मान्यता है कि इस दिन नाग देवता को दूध अर्पित करने के साथ दूध से स्नान कराने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है l आइए जानिए नागपंचमी के दिन किस विधि से पूजा करने पर काल सर्प से मुक्ति मिलेगी l
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी पर्व : 13 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार
पंचमी तिथि प्रारंभ : 12 अगस्त 2021 दिन गुरुवार दोपहर 03 बजकर 24 मिनट से
पंचमी तिथि समापन : 13 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त : 13 अगस्त 2021 को सुबह 05 बजकर 49 मिनट से 08 बजकर 28 मिनट तक
नाग पंचमी पर इस साल दुर्लभ संयोग बन रहे हैं l राहु-केतु और काल सर्प दोष से जुड़े ये महासंयोग 108 साल बाद बन रहे हैं l ज्योतिषियों के मुताबिक, नाग पंचमी पर इस बार योग उत्तरा और हस्त नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है l इस दिन काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए परिगणित और शिन नामक नक्षत्र भी लग रहा है l मेष, वृषभ, कर्क और मकर राशि के जातकों को धन लाभ मिलने की संभावना बढ़ेगी l
वृष राशि में राहु का गोचर
वर्तमान समय में राहु का गोचर वृषभ राशि में हो रहा है l वहीं वृश्चिक राशि में केतु का गोचर बना हुआ है l वर्ष 2021 में राहु और केतु का राशि परिवर्तन नहीं है l इसलिए इन दोनों ही राशि के जातकों को सावधानी बरतनी चाहिए l
नाग पंचमी की पूजा कालसर्प दोष को भी दूर करती है l ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष को अत्यंत अशुभ योग माना गया है l इस योग के कारण व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है l जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है l शिक्षा, जॉब, करियर, बिजनेस, सेहत और लव रिलेशनशिप आदि मामलों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है l
कालसर्प दोष कैसे बनता है
राहु और केतु के मध्य जब जन्म कुंडली के सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है l इसके साथ ही सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ राहू के होने से भी कालसर्प दोष बनता है l ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहू का अधिदेवता ‘काल’ है तथा केतु का अधिदेवता ‘सर्प’ है l इसीलिए इस कालसर्प दोष कहा जाता है l राहु और केतु दो ऐसे ग्रह हैं जो हमेशा वक्री रहते हैं l यानि उल्टी चाल चलते हैं l
नागपंचमी का महत्व जानें
नाग पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है l इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ नाग देवता की पूजा का विधान है l नाग पंचमी हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है l मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ नागों की पूजा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है l भक्त पर शिव की कृपा होने से उनकी सारी मुरादें पूरी होती हैं l धार्मिक मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन रुद्राभिषेक करने से उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है l
नागों की पूजा
मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकि, शेष, पद्म, कंबल, अश्वतर, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक, कालिया और पिंगल नामक इन 12 नाग देवताओं का स्मरण करते हुए पूजन किया जाता है l
मान्यता है कि ऐसा करने से भय तत्काल खत्म होता है और जिसके कुंडली में सर्पदोष है उसका प्रभाव कम हो जाता है l नाग देवता के मंत्र ‘ऊं कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ का जाप अति लाभदायक माना जाता है l
मान्यता है कि नाग देवता का मात्र नाम स्मरण करने से धन लाभ होता है l यदि आपकी कुंडली में राहु और केतु अपनी नीच राशियों में विराजमान है तो आपको नागपंचमी के दिन नागों की पूजा नागों को अपने जटाजूट और गले में धारण करने की वजह से ही भगवान शिव को काल का देवता कहा गया है। इस दिन घर के दरवाजे के दोनों तरफ गाय के गोबर से सर्पाकृति बनाकर या फिर सर्प का चित्र लगाकर सुबह उन्हें जल चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही उन पर घी -गुड़ चढ़ाया जाता है। शाम को सूर्यास्त के बाद नाग देवता के नाम पर मंदिरों और घर के कोनों में मिट्टी के कच्चे दिए में गाय का दूध रखा जाता है। शाम को भी नाग देवता की आरती और पूजा की जाती है। इस दिन शिवजी की आराधना करने से कालसर्प दोष, पितृदोष का आसानी से निवारण होता है। भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना गया है। अवश्य करनी चाहिए l माना जाता है कि इससे कुंडली में राहु और केतु का दोष समाप्त होता है l

Subscribe to our Newsletter

To Recieve More Such Information Add The Email Address ( We Will Not Spam You)

Share this post with your friends

Leave a Reply

Related Posts

Jaya Ekadashi 2026

Jaya Ekadashi 2026:- जाने कब और क्यों मनायी जाती है जया एकादशी, क्या है शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, महत्व और अचुक उपाय!!

Jaya Ekadashi 2026:- जाने कब और क्यों मनायी जाती है जया एकादशी, क्या है शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, महत्व और अचुक उपाय!!

Bhishma Asthami 2026

Bhishma  Asthami 2026:- भीष्म अष्टमी 2026 कब है, जाने क्या है रथ सप्तमी का शुभ अभिषेक, पूजन विधि, महत्व और अचुक उपाय!!

Bhishma Asthami 2026:- भीष्म अष्टमी 2026 कब है, जाने क्या है रथ सप्तमी का शुभ अभिषेक, पूजन विधि, महत्व और अचुक उपाय!!