Mohini Ekadashi 2023 Details:- सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। धर्म शास्त्रों में एकादशी को सभी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया है। प्रत्येक माह में दोनों पक्षों शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है। सभी एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं लेकिन हर एकादशी का अपना एक अलग महातम्य होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस बार मोहिनी एकादशी का व्रत 01 मई, 2023 को किया जाएगा। मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य को मोहफंद से मुक्ति मिलती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।
Mohini Ekadashi 2023:- मोहिनी एकादशी कब हैं ?
मोहिनी एकादशी वैशाख मास में आती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस बार वैशाख मास 21 अप्रैल 2023 दिन शुक्रवार से प्रारंभ हो रहा है, जो 21 मई 2023 को समाप्त हो रहा है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी मनाई जाती है। इस बार साल 2023 में मोहिनी एकादशी 01 मई 2023 को है।
Mohini Ekadashi 2023:- मोहिनी एकादशी का क्या महत्व है ?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि मोहिनी एकादशी का महत्व सबसे पहले भगवान कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को और संत वशिष्ठ ने भगवान राम को समझाया था।
- यदि कोई व्यक्ति मोहिनी एकादशी व्रत को अत्यधिक समर्पण और निष्ठा के साथ रखता है तो फलस्वरूप उसे कई ‘पुण्य’ या ’अच्छे कर्म” प्राप्त होते हैं।
- प्राप्त पुण्य एक हजार गायों का दान करने, तीर्थों की यात्रा करने और यज्ञों को करने से प्राप्त होने वाले के बराबर होते हैं।
- यह भी माना जाता है कि भक्त जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाते हैं और मोहिनी एकादशी के व्रत का पालन करके मोक्ष प्राप्त करते हैं।
- मोहिनी एकादशी के विस्तृत महत्व को जानने के लिए, भक्त सूर्य पुराण पढ़ सकते हैं।
Mohini Ekadashi 2023:- मोहिनी एकादशी के खास उपाय क्या है ?
- इस दिन अपनी पूजा के समय एक ताबें के लोटे में जल रख लें और पूजा के बाद उस जल को अपने घर के दरवाजे पर डाल दें। माना जाता है कि ऐसा करने से आपके जीवन के सभी संकट दूर होंगे और मां लक्ष्मी आपसे प्रसन्न होगी।
- एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। जिसे सभी व्रतों में कठिन माना गया है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। इसके साथ ही दांपत्य जीवन और संतान संबंधी परेशानियों को भी दूर करता है। जीवन में आने वाली बाधा और संकटों को भी दूर करने में मोहिनी एकादशी का व्रत श्रेष्ठ फलदायी माना गया है।
- एकादशी के दिन व्यक्ति को अपने मन में बुरे ख्याल या बुरी भावना नहीं लानी चाहिए। वहीं इस दिन शंख की ध्वनि को सुनना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन अपने घर में शंख की ध्वनि का गुंजन कराएं, जिससे आपके घर की नकारात्मक शक्तियां दूर होंगी और मां लक्ष्मी आपके घर की तरफ आगमन करेंगी।
Mohini Ekadashi 2023:- मोहिनी एकादशी पर क्या करें और क्या नहीं है ?
- एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी करें, यदि हो सके तो व्रत भी करें।
- एकादशी तिथि और उससे एक दिन पहले एवं एक दिन बाद द्वादशी तक नियमों का पालन करना चाहिए। इन तीनों दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- एकादशी तिथि पर चावल खान वर्जित माना जाता है इसलिए इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- एकादशी तिथि पर क्रोध न करें और किसी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।
Mohini Ekadashi 2023:- मोहिनी एकादशी व्रत कथा क्या है ?
एक बार भगवान श्रीराम ने अपने गुरुदेव से कहा कि आप कोई ऐसा व्रत बताएं, जिससे सभी पाप और दुखों का नाश हो जाए। मैंने सीताजी के वियोग में बहुत दुख भोगे हैं। इस पर महर्षि वशिष्ठ जी श्रीराम से बोले, हे राम! आपने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। लोकहित में ये प्रश्न बहुत कल्याणकारी है। वैशाख मास में जो एकादशी आती है, उसका नाम मोहिनी एकादशी है। इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य सब पापों और दुखों से छुटकारा पा जाता है। मैं इसकी कथा कहता हूं। ध्यान से सुनो।
सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नगर था। वहां द्युतिमान नामक चंद्रवंशी राजा का राज था। इस नगर में हर तरह से संपन्न विष्णु भक्त धनपाल नामक वैश्य भी रहता था। वैश्य ने नगर में कई भोजनालय, प्याऊ, कुए, तालाब और धर्मशाला बनवाए थे। साथ ही नगर की सड़कों पर आम, जामुन, नीम के अनेक छायादार पेड़ भी लगवाए थे। वैश्य के 5 पुत्र थे, जिनका नाम सुमना, सद्बुद्धि, मेधावी, सुकृति और धृष्टबुद्धि था।
उसका पांचवा पुत्र खराब आदतों वाला था। वो माता-पिता और भाइयों किसी की भी बातें नहीं मानता था। वह बुरी संगति में रहकर जुआ खेलता और पराई स्त्री के साथ भोग-विलास करता और मांस-मदिरा का भी सेवन करता था। इसी प्रकार अनेक बुरे कामों से वो पिता के धन को नष्ट करता था।
पुत्र के कुकर्मों से परेशान होकर धनपाल ने धृष्टबुद्धि को घर से निकाल दिया। अब वह अपने गहने-कपड़े बेचकर जीवन यापन करने लगा। जब उसके पा कुछ भी नहीं रहा, तो बुरे कामों में साथ देने वाले दोस्तों ने भी उसे छोड़ दिया। भूख-प्यास से परेशान धनपाल के पुत्र ने चोरी का रास्ता अपनाया, लेकिन वो चोरी करते हुए पकड़ा गया। उसे राजा के सामने हाजिर किया गया, लेकिन वैश्य का पुत्र जानकर राजा ने उसे चेतावनी देकर जाने दिया।
धृष्टबुद्धि के सामने चोरी के अलावा और कोई रास्ता नहीं था, तो उसने फिर चोरी की और इस बार भी वो पकड़ा गया। दूसरी बार फिर पकड़े जाने पर राजा ने उसे कारागार में डाल दिया, जहां उसे बहुत दुख दिए गए और बाद में उसे नगर से निकाल दिया गया।
नगर से निकाले जाने पर धृष्टबुद्धि वन में चला गया। वहां वो पशु-पक्षियों का शिकार करके उन्हें खाने लगा और कुछ समय के बाद वो बहेलिया बन गया। एक दिन वो भूख और प्यास से व्याकुल खाने की तलाश में कौडिन्य ऋषि के आश्रम पहुंच गया। उस समय वैशाख मास था और महर्षि गंगा स्नान कर वापस आ रहे थे। महर्षि के भींगे वस्त्रों के छींटे उस पर पड़ने से उसे कुछ ज्ञान की प्राप्ति हुई।
तब उसने कौडिन्य ऋषि से हाथ जोड़कर कहा, हे महर्षि! मैंने जीवन में बहुत पाप किए हैं, आप इन सभी पापों से मुक्ति का कोई उपाय बताएं। ऋषि ने प्रसन्न होकर उसे मोहिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। इससे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। तब उसने विधि अनुसार व्रत किया।
महर्षि वशिष्ठ श्रीराम से बोले, हे राम! इस व्रत के प्रभाव से उसके सब पाप मिट गए और अंत में वो गरुड़ पर सवार होकर बैकुंठ चला गया। इस व्रत से मोह-माया सबका नाश हो जाता है। संसार में इस व्रत से और कोई श्रेष्ठ व्रत नहीं है। इस व्रत की महिमा को पढ़ने या सुनने मात्र से ही एक हजार गो दान का फल प्राप्त होता है।