Mesha Sankranti 2023 Details:- सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने की घटना को संक्रांति कहते हैं। सौर कैलेंडर में सूर्य की संक्रांति का बड़ा ही महत्व है क्योंकि इस दिन से ही नए माह का प्रारंभ होता है। आज सूर्य की मेष संक्रांति है। मेष संक्रांति से सौर कैलेंडर के नए वर्ष का प्रारंभ होता है। सूर्य की संक्रांति पर नदियों में स्नान करने और दान करने की परंपरा है। ऐसा करने से पुण्य प्राप्त होता है और सूर्य पूजा से सफलता, धन, धान्य, संतान सुख आदि की प्राप्ति होती है।
Mesha Sankranti 2023:- मेष संक्रांति तिथि और समय क्या है ?
सूर्योदय : 14 अप्रैल, 2023 सुबह 5:57 बजे।
सूर्यास्त : 14 अप्रैल, 2023 शाम 6:46 बजे।
Mesha Sankranti 2023:- मेष संक्रांति तिथि और समय क्या है ?
शास्त्रों के अनुसार मेष संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व माना जाता है। इस समय वैशाख महीने की प्रवृत्ति होती है। मेष संक्रांति के दिन ही सूरज देव उत्तरायण की अभी यात्रा को पूरा करते हैं। भारत में अलग-अलग जगहों पर मेष राशि को अलग अलग नाम से जाना जाता है। बंगाल में रहने वाले लोग मेष संक्रांति को नए साल के रूप में मनाते हैं।
मेष संक्रांति के दिन धर्मघट का दान, स्नान, तिल द्वारा पितरों का तर्पण किया जाता है। इस दिन मधुसूदन भगवान की पूजा करना महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में बताया जाता है कि मेष संक्रांति के पुण्य काल में स्नान दान और पितरों का तर्पण करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है। मेष संक्रांति के दिन सूरज देव की पूजा अर्चना करने के साथ गुड और सत्तू खाने का नियम होता है। बिहार राज्य में मेष संक्रांति के दिन हो सतुआ के रूप में मनाया जाता है।
Mesha Sankranti 2023:- सत्तू संक्रांति क्यों कहा जाता है?
सत्तू संक्रांति के दिन घर में खाना ना बनाने कि प्रथा है। इस दिन घर के सभी सदस्य सत्तू का सेवन करते हैं। इस दिन सत्तू का दान भी किया जाता है। दरअसल, सोलर कैलेंडर के अनुसार, सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ गर्मी के मौसम कि शुरुआत मानी जाती है। यही वजह है कि लोग ऐसा आहार लेते हैं जो शीतलता दे और सुपाच्य भी हो। इस दिन जल, मिट्टी के घड़े, स्नान, तिलों द्वारा पितरों का तर्पण तथा कृष्ण भगवान की पूजा अर्चना का भी विशेष महत्व है।
Mesha Sankranti 2023:- मेष संक्रांति पर किन चीजों का दान करें ?
मेष संक्रांति पर जरूरतमंद लोगों को खाने-पीने की चीजों का दान करना चाहिए। इस दिन कपड़े और जूते-चप्पल भी दान करें। वहीं, गाय को घास भी खिलानी चाहिए। सूर्य पूजा के इस पर्व पर सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन आदि का दान करें। इस दिन अपनी श्रद्धानुसार इन में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। इस दिन खाने में नमक का इस्तेमाल भी करना चाहिए।
Mesha Sankranti 2023:- मेष संक्रांति की पूजा विधि क्या है ?
- मेष संक्रांति के दिन सूरज देवता को जल देने का विशेष महत्व माना जाता है।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत्त होने के बाद किसी पवित्र नदी में स्नान किया जाता है।
- यदि घर के आसपास कोई पवित्र नदी ना हो तो घर में ही पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान किया जाता है।
- इस दिन स्नान करने के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं।
- इसके बाद तांबे के लोटे में जल भरकर इसमें लाल चंदन, थोड़ा कुमकुम और लाल फूलों या गुलाब की पत्तियां मिलाई जाती हैं।
- तांबे के लोटे में जल भरकर पूरब दिशा की ओर मुंह कर के दोनों हाथों से लोटे को अपने सर से ऊपर की ओर उठा कर धीरे धीरे जल की एक धारा बनाई जाती है।
- इस तरह सूरज देव को 7 बार जल अर्पित किया जाता है।
- यदि सूरज देवता को घर पर ही अर्घ्य दे रहे हैं, तो जहां पर जल गिरेगा वहां किसी बर्तन या बाल्टी को रखा जाता है।
- ऐसा करने से जमा हुआ जल को किसी गमले पौधे या पेड़ की जड़ में डाल दिया जाता है।
- सूरज देव को जल अर्पित करते समय गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूरज नीचे के स्थान पर है, तो उसे मेष संक्रांति के दिन दान पुण्य करना चाहिए।
- मेष संक्रांति के दिन गरीब और जरूरतमंदों को गेहूं, गुड और चांदी का दान देना शुभ माना जाता है ।
- मेष संक्रांति के दिन सूरज देव की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख रोग दूर हो जाते हैं।