माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। Mauni Amavasya in Hindi 2026 को माघी अमावस्या या माघ अमावस्या (Magh Amavasya) भी कहा जाता हैं। साल 2026 में मौनी या माघ अमावस्या 18 जनवरी को रविवार के दिन पड़ रही है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हिंदू त्योहारों को हमेशा हिंदू पंचांग के अनुसर ही मनाना चाहिए क्योंकि अंग्रेजी कैलेंडर में काई बार तिथि नक्षत्र अंश कला इत्यादी इसका मतलब है घंटा मिनट सेकेंड का ध्यान नहीं रखा जाता है जबकी हिंदू पंचांग में काला, विकला, अंश, प्रति कला, पल, बिपल, और प्रतिपल, का भी ध्यान रखा जाता है हम जब एक बार आंख झपकते हैं उसको एक पल कहा जाता है और एक सेकंड में 60 पल होते हैं तो हिंदू पंचांग बहुत गहन से और बहुत सूक्ष्म ता से हिंदू त्योहारों को लाभ पहुंचाता है
Mauni Amavasya 2026:- मौनी अमावस्या कब है और शुभ मुहूर्त
सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का अत्यंत विशेष महत्व है। यह दिन मौन रहकर आत्मचिंतन, साधना और ईश्वर-आराधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है। मौनी अमावस्या 18 जनवरी 2026 को पड़ रही है। यह पर्व माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है।
शुभ मुहूर्त
मौनी अमावस्या 18 जनवरी 2026, रविवार को मनाई जाएगी।
अमावस्या तिथि 18 जनवरी 2026 को रात 12 बजकर 03 पर प्रारंभ होगी।
अमावस्या तिथि का समापन 19 जनवरी 2026 को मध्यरात्रि 01 बजकर 21 मिनट पर होगा।
माना जाता है कि इस दिन प्रयागराज (इलाहाबाद) में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करना हजारों यज्ञों के फल के समान पुण्य देता है। मौनी अमावस्या विशेष रूप से माघ महीने के स्नान पर्व का भी महत्वपूर्ण दिन होता है, जिसे “माघी अमावस्या” कहा जाता है।
Mauni Amavasya 2026:- मौनी अमावस्या के दौरान अनुष्ठान
मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु सूर्योदय के समय गंगा स्नान करने के लिए सुबह जल्दी उठते हैं। यदि कोई व्यक्ति इस दिन किसी तीर्थस्थल पर नहीं जा सकता है, तो उसे स्नान के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि स्नान करते समय मौन रहना चाहिए। इस दिन भक्त भगवान ब्रह्मा की पूजा भी करते हैं और गायत्री मंत्र का जाप करते हैं।
स्नान-अनुष्ठान समाप्त करने के बाद, भक्त ध्यान के लिए बैठते हैं। ध्यान एक ऐसा अभ्यास है जो एकाग्रता और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है। मौनी अमावस्या के दिन किसी भी गलत कार्य से बचना चाहिए।
कुछ भक्त मौनी अमावस्या के दिन पूर्ण मौन या मौन व्रत का पालन करते हैं। वे पूरे दिन कुछ भी बोलने से परहेज करते हैं और केवल स्वयं के साथ एकता की स्थिति प्राप्त करने के लिए ध्यान करते हैं। इस अभ्यास को मौन व्रत कहते हैं। यदि कोई व्यक्ति पूरे दिन मौन व्रत नहीं रख सकता है, तो उसे पूजा अनुष्ठान समाप्त होने तक मौन रहना चाहिए।
मौनी अमावस्या के दिन, हजारों हिंदू श्रद्धालु ‘कल्पवासियों’ के साथ प्रयाग में ‘संगम’ में पवित्र डुबकी लगाते हैं और शेष दिन ध्यान में बिताते हैं।
Mauni Amavasya 2026:- मौनी अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
“मौनी” शब्द का अर्थ है “मौन रहना और अध्यात्म में मौन रहने का विशेष महत्व और लाभ बताया गया है”। मौन रहना एक आध्यात्मिक साधना की तरह है। मौनी अमावस्या में भी मौन रहने की सलाह दी जाती है। इस दिन मौन व्रत धारण करने से आत्मा की शुद्धि होती है और मन शांत होता है। मौन रहकर व्यक्ति ध्यान और आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर हो सकता है। मौनी अमावस्या ध्यान, योग, और साधना के लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है।
माना जाता है कि इस दिन ध्यान और भक्ति से भगवान विष्णु और शिव की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा मौनी अमावस्या पितरों को प्रसन्न करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए भी अर्पित है। इस दिन तर्पण, पिंडदान और अन्न-दान से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
मौनी अमावस्या पर दान का महत्व:- इस दिन तिल, अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। मौनी अमावस्या पर काला तिल दान करने से गृह दोष दूर होते हैं और नमक दान करने से समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
Mauni Amavasya 2026:- मौनी अमावस्या के दिन विशेष उपाय
मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना गया है। इस समय वहां महाकुंभ मेला भी चल रहा है, और अखाड़ों का अमृत स्नान भी होगा। इस दिन संगम में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और अपने पितरों के लिए जल तर्पण करें। ऐसा करने से सुख, सौभाग्य, संतान की प्राप्ति, हरि कृपा और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
स्नान से पूरी होंगी मनोकामनाएं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माघ मास में संगम में स्नान करने से पांच प्रमुख इच्छाएं पूर्ण होती हैं – सुख, सौभाग्य, धन, संतान, और मोक्ष की प्राप्ति। पद्म पुराण के अनुसार, माघ मास में तीर्थ स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इससे व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है और वह पापों से मुक्त हो जाता है।
संगम स्नान का पौराणिक महत्व
कथाओं के अनुसार, सागर मंथन के दौरान अमृत कलश की कुछ बूंदें प्रयागराज के संगम में गिरी थी, जिससे वहां का जल पुण्यदायी हो गया। संगम में स्नान करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, मौनी अमावस्या के दिन संगम स्नान और धार्मिक अनुष्ठान का विशेष महत्व है, जो जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।





