Manik Stone:- माणिक्य रत्न पहनते समय बरतें क्या सावधानियां, जानें हर बात !!

Manikya Ratan

माणिक रत्न कब धारण करें? माणिक रत्न किसे धारण करना चाहिए? माणिक रत्न क्यों धारण करना चाहिए?

हर किसी की जन्मपत्री में ग्रहों की कमजोर और बलवान दशा के अनुसार ही भाग्य में परिवर्तन आता रहता है. अशुभ ग्रहों को शुभ बनाना या शुभ ग्रहों को और अधिक शुभ बनाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं.

इसके लिए कोई मंत्र जाप, दान, औषधि स्नान, देव दर्शन आदि करता है. ऐसे में रत्न धारण एक महत्वपूर्ण एवं असरदार उपाय है. जिससे आपके जीवन में आ रही समस्त परेशानियों का हल निकल जाता है.

माणिक रत्न                        

माणिक रत्न सूर्य ग्रह के लिए धारण किया जाता है। सिंह राशि के जातकों के लिए यह शुभकारी होता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की महादशा चल रही होती है उसे रविवार के दिन रिंग फिंगर में माणिक्य रत्न को धारण करना चाहिए। रत्न पहनने के लिए सूर्योदय का समय सबसे सही समय रहता है।

 

असली माणिक की पहचान

प्राप्ति स्थान के अनुसार माणिक्य लाल, गुलाबी, रक्तवर्णी, फिका गुलाबी इत्यादि रंगों में पाया जाता है।

दूध में असली माणिक रखने पर दूध का रंग गुलाबी दिखाई देता है। कांच के बरतन में इसे रखने से बरतन के चारों ओर हल्की किरण निकलती दिखाई देती है।

 

माणिक रत्न किस राशि के लोगों को पहनना चाहिए?

मेष, सिंह और धनु लग्न के जातक माणिक धारण कर सकते हैं।

कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न में माणिक साधारण परिणाम देता है।

अगर जातक को हृदय और नेत्र रोग है तो भी वह माणिक धारण कर सकता है।

अगर धन भाव ग्याहरवां भाव, दशम भाव, नवम भाव, पंचम भाव, एकादश भाव में सूर्य उच्च के स्थित हैं तो भी माणिक धारण कर सकते हैं।

 

माणिक रत्न धारण करने की विधि  ? माणिक किस वार को धारण करें ? माणिक धारण करने का मंत्र ,  माणिक कितने रत्ती का धारण करें

सूर्य को प्रभावशाली बनाने के लिए ज्योतिषी माणिक्य रत्न धारण करने की सलाह देते हैं।

माणिक धारण करने से पहले अंगूठी को गाय के दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें।

माणिक का वजन कम से कम 6 से सवा 7 रत्ती का होना चाहिए।

जातक माणिक को तांबा या सोने के धातु में धारण कर सकते हैं।

माणिक रत्न को सूर्योदय होने पर स्नान करने के बाद धारण करें।

माणिक रत्न का संबंध सूर्य का बताया जाता है। सूर्य को ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का राज कहा जाता है।

 “ओम् ह्रां ह्रीं, ह्रौं सः सूर्याय नमः” मंत्र का जप करें। इसके बाद रत्न धारण करें।

कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा अथवा रविपुष्य नक्षत्र में रविवार का दिन इस रत्न को धारण करना उत्तम होता है।

 

माणिक रत्न पहनने के लाभ

अवसाद से लड़ने एवं इसे दूर करने के लिए भी माणिक पहनने की सलाह दी जाती है।

नेत्र रोगों एवं रक्‍त संचार से जुड़े विकारों को भी रूबी स्‍टोन दूर कर सकता है।

माणिक रत्‍न ब्‍लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव, ह्रदय संबंधित समस्‍याओं और ब्‍लीडिंग से जुड़े विकारों को दूर करने की शक्‍ति रखता है।

रूबी स्‍टोन हाई और लो ब्‍लड प्रेशर एवं मस्तिष्‍क तथा फेफड़ों से जुड़े विकारों को ठीक किया जा सकता है।

यह रत्‍न खून को साफ करता है और ह्रदय एवं लिवर को स्‍वस्‍थ रखने में मदद करता है।

माणिक शरीर में पित्त को नियंत्रित करता है।

 

माणिक रत्न धारण करने के नुकसान

माणिक के साथ लहसुनिया और गोमेद धारण करना अशुभ रहता है।

सूर्य ग्रह का शुक्र एवं शनि से शत्रु संबंध हैं इसलिए शुक्र के रत्‍न हीरा या ओपल तथा शनि के रत्‍न नीलम को नहीं पहनना चाहिए।

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