Magha Purnima 2024 Details:- हिन्दू पंचांग में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं। जब चंद्रमा कर्क राशि में और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब माघ पूर्णिमा का शुभ योग बनता है। इस शुभ योग में गंगा स्नान करने से कुंडली में सूर्य और चंद्रमा के दोषों से छुटकारा मिल जाता है।
ऐसी मान्यता है माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगा नदी में स्नान करने आते हैं। इसलिए जो भी माघ पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान करता है उसको सभी तरह के पुण्य लाभ मिलते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा कहते हैं। धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस तिथि पर स्नान, दान और जप को बहुत पुण्य फलदायी बताया गया है। माघ पूर्णिमा पर माघ स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। माघ माह में चलने वाला यह स्नान पौष मास की पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा तक होता है। तीर्थराज प्रयाग में कल्पवास करके त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन माघ पूर्णिमा ही है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माघ स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान माधव प्रसन्न रहते हैं तथा उन्हें सुख-सौबाग्य, धन-संतान और मोक्ष प्रदान करते हैं।
Magha Purnima 2024:- माघ पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त
माघ पूर्णिमा शनिवार, फरवरी 24, 2024 को
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – फरवरी 23, 2024 को 03:33 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – फरवरी 24, 2024 को 05:59 पी एम बजे
Magha Purnima 2024:- माघ पूर्णिमा पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम
माघ पूर्णिमा का दिन पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध करना अच्छा माना गया है। इसके अलावा इस दिन पितरों के निमित्त जल दान, अन्न दान, भूमि दान और वस्त्र दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही साथ इस दिन जरूरतमंद के बीच कंबल, कपास, घी, गुड़, तिल, वस्त्र, भोजन सामग्री और जूते-चप्पल का दान भी अच्छा माना गया है।
Magha Purnima 2024:- माघ पूर्णिमा पर क्यों गंगा स्नान का है खास महत्व?
माघ मास में देवता पृथ्वी पर निवास करते हैं। माघ पूर्णिमा पर गंगा में डुबकी लगाने से व्यक्ति पाप मुक्त होकर स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। माघ पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में वास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का महत्व खास हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगाजल के स्पर्श मात्र से शरीर के सारे रोग दूर हो जाते हैं। सारे पापों का नाश हो जाता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
Magha Purnima 2024:- माघ पूर्णिमा के दिन इन चीजों का करें दान
पद्म पुराण के अनुसार, माघ पूर्णिमा स्नान के बाद ध्यान और जप-तप से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इस दिन दान करने का बड़ा महत्व है। गोदान, तिल, गुड़ और कंबल दान करना अच्छा माना गया है. इसके अलावा वस्त्र, गुड़, घी, कपास, लड्डू, फल, अन्न आदि चीजों का दान भी किया जा सकता है। दान के अलावा इस दिन भगवान सत्य नारायण की कथा जरूर सुननी चाहिए।
Magha Purnima 2024:- माघ पूर्णिमा पूजा विधि
- माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करना चाहिए। यदि गंगा स्नान संभव न हो तो पानी में गंगाजल मिलकर स्नान कर सकते हैं।
- स्नान के उपरांत ॐ नमो नारायणाय मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें।
- फिर तिलांजलि देने के लिए सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं और जल में तिल डालकर उसका तर्पण करें।
- इसके बाद पूजा प्रारंभ करें।
- भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि चीजें अर्पित करें।
- अंत में आरती और प्रार्थना करें।
- पूर्णिमा पर चंद्रमा और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
Magha Purnima 2024:- माघ पूर्णिमा का महत्व
ब्रह्मवैवर्त पुराण में माघ पूर्णिमा का महत्व बताया गया है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु गंगा नदी में निवास करते हैं और इसलिए माना जाता है कि गंगा नदी के पवित्र जल को छूने मात्र से भक्त मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। माघ पूर्णिमा व्रत का पालन करने से भक्त अपने पापों से मुक्ति पा सकते हैं और मन की पवित्रता और शांति भी प्राप्त कर सकते हैं।
हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा विशेष मानी जाती है। माघ पूर्णिमा के दिन जो लोग अपने कल्पवास की परंपरा को पूर्ण करते हैं। इसके साथ ही संगम नदी के किनारे साधक स्नान और ध्यान पर अपना पूरा समय व्यतीत करते हैं। माघ पूर्णिमा के दिन लाखों की संख्या में लोग प्रयाग में स्थिति त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं। इसके अलावा माघ पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी विशेष महत्व रखती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने इसी दिन अपनी आसन्न मृत्यु की घोषणा की थी।
माघ मेला और कल्पवास
तीर्थराज प्रयाग (इलाहाबाद) में हर साल माघ मेला लगता है, जिसे कल्पवास कहा जाता है। इसमें देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल होते हैं। प्रयाग में कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कल्पवास का समापन माघ पूर्णिमा के दिन स्नान के साथ होता है। माघ मास में कल्पवास की बड़ी महिमा है। इस माह तीर्थराज प्रयाग में संगम के तट पर निवास को कल्पवास कहते हैं। कल्पवास का अर्थ है संगम के तट पर निवास कर वेदों का अध्ययन और ध्यान करना। कल्पवास धैर्य, अहिंसा और भक्ति का संकल्प होता है।