केतु ग्रह को शांत करने के बारे में पूरी जानकारी और उसकी शुभता दिलाने वाले महाउपाय !

Ketu grah

केतु ग्रह के लिए किस भगवान की पूजा करें ? केतु ग्रह किस चीज़ का कारक होता है ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर जातक के जीवन में नौ ग्रहों का असर शुभ या फिर अशुभ पड़ता है। इन नवग्रह की अंतर्दशा और महादशा चलती है। जिस प्रकार शनि, राहु की महादशा होती है। उसी प्रकार केतु ग्रह की भी महादशा होती है। केतु को छाया ग्रह माना जाता है लेकिन इस ग्रह की स्थिति का असर 12 राशियों के जीवन पर कभी न कभी जरूर पड़ता है। इस ग्रह को पापी ग्रह माना जाता है। कुंडली के दूसरे और आठवें भाव में केतु शुभ फल प्रदान करने वाला माना गया है। इसके साथ ही शुभ ग्रहों के साथ यदि बैठ जाए तो केतु व्यक्ति को अपार सफलताएं दिलाता है। केतु को अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि का कारक माना गया है। धनु राशि में केतु का उच्च माना गया है।

केतु की महादशा क्या है ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, केतु की महादशा 7 साल की होती है। इस दौरान शुभ या अशुभ परिणाम प्राप्त होता है। अंतरदशा 11 महीने से सवा साल तक की होती है। केतु की महादशा बुध और शुक्र के बीच आती है। केतु की महादशा बुध और शुक्र के बीच आती है। इसका मतलब है कि पहले बुध की महादशा आती है फिर केतु की महादशा सात साल की होती है और बाद में शुक्र की महादशा 20 साल की होती है।

कुंडली में केतु ग्रह ख़राब होने के क्या लक्षण है ?

अगर कुंडली में राहु के अलावा केतु दोष लग जाए तो जिंदगी में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जातक कई बुरी आदतों का शिकार हो जाता है। ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार केतु ग्रह जब भी खराब होता है तो उसके पहले ही उसके लक्षण नजर आने लगते हैं। क‍िसी भी जातक की कुंडली में केतु के दोष से उसके सिर के बाल झड़ने लगते हैं। शरीर की नसों में कमज़ोरी आने लगती है। पथरी संबंधी समस्‍याएं होने लगती हैं। जोड़ों में दर्द और चर्म रोग की भी आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा कान में समस्या के कारण सुनने की क्षमता कम होना। अक्सर खांसी आती है। संतान उत्पत्ति में रुकावट होती है। पेशाब की बीमारी के अलावा रीढ़ की हड्डी में दिक्कत हो सकती है।

केतु के लिए कौन सा रत्न धारण करें ?

केतु ग्रह का रत्न होता है लहसुनिया। इसे वैदूर्य, वैदूर्य मणि या कैट्स आई भी कहते हैं। जन्मकुंडली में केतु की अशुभ अवस्था में इसके रत्न लहसुनिया को पहना जाता है। केतु तमोगुणी तथा अग्नितत्व वाला ग्रह होता है। जन्मकुंडली में केतु की खराब अवस्था के कारण जातक के जीवन में अनेक परेशानियां आती हैं। कार्य में अस्थिरता, मन विचलित रहना, आर्थिक-मानसिक परेशानियां जैसे अनेक प्रभाव देखने को मिलते हैं। इनकी शांति के लिए केतु के रत्न लहसुनिया को धारण किया जाता है।

केतु ग्रह को शांत करने के लिए उपाय

  • केतु दोष को दूर करने या केतु की शांति के लिए ओम स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। आप इस मंत्र का 18, 11 या 05 माला जाप कर सकते हैं।
  • केतु दोष से मुक्ति के लिए शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना भी लाभकारी माना जाता है।
  • केतु दोष से मुक्ति के लिए कंबल, छाता, लोहा, उड़द, गर्म कपड़े, कस्तूरी, लहसुनिया आदि का दान करना चाहिए।
  • केतु के प्रकोप से बचने के लिए रविवार के दिन कन्याओं को हलवा और मीठा दही खिलाएं।

केतु ग्रह को मजबूत बनाने के लिए उपाय

  • केतु दोष के निवारण के लिए आप लहसुनिया रत्न को धारण कर सकते हैं। यदि यह नहीं मिलता है तो केतु के उपरत्न फिरोजा, संघीय या गोदंत को पहन सकते हैं।
  • केतु ग्रह को मजबूत बनाने के लिए जातक को बुजुर्गों एवं संतों की सेवा करनी चाहिए ।
  • जातक को रोजाना श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ नित्य जाप करने से केतु ग्रह को मजबूत बनाया जा सकता हैं ।
  • केतु के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए कुत्ते को तेल लगाकर रोटी खिलाएं। कुत्ता पालना या कुत्ते की सेवा करना भी लाभकारी होता है।

Subscribe to our Newsletter

To Recieve More Such Information Add The Email Address ( We Will Not Spam You)

Share this post with your friends

Leave a Reply

Related Posts

jaggannath puri

Jagannath Puri:- क्या सच में जगन्नाथ पूरी में धड़कता है श्री कृष्ण का दिल? जाने जगन्नाथ पुरी की खासयित और इससे जुडी इतिहासिक और पौराणिक कथा!!

Jagannath Puri:- क्या सच में जगन्नाथ पूरी में धड़कता है श्री कृष्ण का दिल? जाने जगन्नाथ पुरी की खासयित और इससे जुडी इतिहासिक और पौराणिक कथा!!