Kamada Ekadashi 2024:- कामदा एकादशी के दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से हर तरह के दुख और कष्टों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से विष्णु भगवान अधूरी मनोकामनाएं पूरी करते है। इसलिए इसे फलदा एकादशी भी कहा जाता है।
भगवान विष्णु की अराधना करने के लिए यह दिन बेहद खास है। शास्त्रों में एकादशी व्रत को बहुत ही फलदायी बताया गया है। कहते हैं कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। कहते हैं कि इस व्रत को करने से हजारों वर्षों की तपस्या के बराबर पुण्य मिलता है। एकादशी के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है।
Kamada Ekadashi 2024:- कामदा एकादशी शुभ मुहूर्त क्या है ?
चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि प्रारंभ 18 अप्रैल 2024, गुरुवार, 05:31 pm
चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त 19 अप्रैल 2024, शुक्रवार, 08:04 pm
कामदा एकादशी व्रत 2024 पारण समय 20 अप्रैल 2024, शनिवार, 05:24 am – 07:57 am
Kamada Ekadashi 2024:- कामदा एकादशी का व्रत ऐसे रखें ?
कामदा एकादशी के व्रत की शुरुआत सूर्य देवता को प्रणाम करने के साथ करें। सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य दें। उसके बाद पूजास्थल को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर श्रीहरि की मूर्ति को स्थापित करें और हाथ में जल लेकर मन की मन व्रत करने का संकल्प लें। उसके बाद प्रणाम करके भगवान को हल्दी, अक्षत, चंदन, फल और फूल चढ़ाएं और रोली से टीका करके पंचामृत अर्पित करें। इसके साथ एकादशी के दिन प्रभु को तुलसी दल भी चढ़ाएं। इसके बाद एकादशी की कथा पढ़कर आरती करें और प्रभु को भोग अर्पित करें। याद रखें एकादशी के दिन शाम की पूजा के बाद तुलसी के आगे घी का दीपक जरूर जलाएं। तुलसी को प्रसन्न करने पर भगवान विष्णु स्वत: ही प्रसन्न हो जाते हैं।
Kamada Ekadashi 2024:- एकादशी व्रत का महत्व क्या है ?
एकादशी व्रत बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस व्रत को रखने की मान्यता यह है कि इससे पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत के महत्व का उल्लेख मिलता है। जो भी व्यक्ति इस व्रत को रखता है उनके लिए एकादशी के दिन धान, मसाले और सब्जियां आदि का सेवन वर्जित होता है। भक्त एकादशी व्रत की तैयारी एक दिन पहले यानि कि दशमी से ही शुरू कर देते हैं। दशमी के दिन श्रद्धालु प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करते हैं और इस दिन वे बिना नमक का भोजन ग्रहण करते हैं। एकादशी व्रत करने का नियम बहुत ही सख्त होता है जिसमें व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास रखना पड़ता है।
Kamada Ekadashi 2024:- कामदा एकादशी व्रत के लाभ क्या है ?
- कामदा एकादशी का व्रत रखकर, भगवान विष्णु का पूजन विभिन्न मिष्ठान्न, फलों आदि से करने से जीवन के समस्त सुख प्राप्त होते हैं। जीवन में संयम और आध्यात्मिकता का विकास होता है।
- इस एकादशी के दिन फलाहार में गोदुग्ध या गोदुग्ध से बनी मिठाई ग्रहण करना चाहिए।
- भगवान विष्णु गो गोघृत अर्पित करने से धन-सुख की प्राप्ति होती है।
- इस एकादशी का व्रत रखने वाले के जीवन से सारे अभाव समाप्त हो जाते हैं। सुख, सौभाग्य, संपत्ति, भूमि, रत्नाभूषणों की प्राप्ति होती है।
- इस व्रत के प्रभाव से गोदान करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है।
- इस एकादशी को मोक्ष प्रदाता कहा गया है। इस व्रत को करने से मनुष्य कभी अकाल मृत्यु को प्राप्त नहीं होता। इस एकादशी की रात्रि में शुद्ध घी का दीपक भगवान विष्णु के समीप प्रज्ज्वलित करने से मोक्ष प्राप्त होता है।
- कामदा एकादशी की रात्रि में जागरण करके भजन-कीर्तन करने से पापों का क्षय होता है।
Kamada Ekadashi 2024:- कामदा एकादशी पूजा विधि क्या है ?
- इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी मां की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए कामदा एकादशी का व्रत पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और फिर नए और स्वच्छ कपड़े पहने।
- इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
- फिर घर व मंदिर को पवित्र करने के लिए इस दिन गंगाजल का छिड़काव करें।
- घर के मंदिर में भगवान श्री हरि की मूर्ति को स्थापित करें और फिर हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें।
- इसके बाद भगवान श्री हरि को हल्दी, अक्षत, चंदन, फल और फूल चढ़ाएं।
- भगवान श्री हरि को रोली का टीका लगाएं और फिर एकादशी की कथा पढ़कर आरती करें।
- अंत भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। लेकिन भोग में तुलसी का पत्ते को जरूर शामिल करें। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि कामदा एकादशी के दिन भगवान तुलसी के बिना भोग ग्रहण नहीं करते है।
- शाम को तुलसीजी के समक्ष घी का दीपक जलाएं। माना जाता है कि तुलसी मां के प्रसन्न होने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है।
- अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी इच्छा अनुसार इस दिन दान-पुण्य जरूर करें।
Kamada Ekadashi 2024:- कामदा एकादशी व्रत कथा क्या है ?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कामदा एकादशी की किवदंती भगवान कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को सुनाई थी। किंवदंती में कहा गया है कि एक युग में ललिता नाम की अप्सरा और ललित नाम के गंधर्व एक जोड़ी थी। ये दोनों राजा पुण्डरीक जो रत्नपुरा शहर पर शासन करते थे, ये दरबार में अपनी सेवाएँ देते थे ।
एक बार, सभी गंधर्व राजा के दरबार में गायन के लिए गए, ललित भी उनके साथ गया। लेकिन उस समय, ललिता दरबार में प्रस्तुत नहीं थी और इस तरह ललित अपनी पत्नी ललिता के विचारों में खो गया जिससे उसके प्रदर्शन पर असर पड़ा। यह सब एक नाग ने देख लिया जिसने तब राजा पुंडरीका को इस सब के बारे में सूचित कर दिया। यह सुन कर राजा आगबबूला हो गया और उसने ललित को एक बदसूरत दानव में बदलने के लिए शाप दिया, ताकि ललिता उसे और उसके प्यार को त्याग दे।
ललित को तुरंत एक भूतिया और भयानक दिखने वाले दानव में बदल दिया गया। जब ललिता को यह सब पता चला, तो वह बहुत उदास हो गई। दोनों एक समाधान प्राप्त करने के लिए निकल पड़े और इस तरह विभिन्न स्थानों पर भटकने लगे। एक दिन वे विंध्याचल पर्वत पर पहुँचे जहाँ उन्होंने ऋषि श्रृंगी का आश्रम देखा। ललिता ने ऋषि से मदद और मार्गदर्शन मांगा ताकि ललित को उसके अभिशाप से राहत मिल सके। इसके लिए, ऋषि श्रृंगी ने उन्हें कामदा एकादशी का व्रत रखने को कहा जो एकादशी पर शुक्ल पक्ष के दौरान चैत्र महीने में आता है।
ललिता ने सभी अनुष्ठानों के साथ व्रत का पालन किया और देवता से उनके शाप से मुक्त होकर अपने पति ललित को इस व्रत का आशीर्वाद देने के लिए कहा। व्रत पूरा होने के तुरंत बाद, ललित को एक बार फिर से अपना असली रूप मिला। उस दिन के बाद से, भक्त अपनी सभी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कामदा एकादशी का व्रत रखते हैं।