Kajari Teej 2023:- कजरी तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? कजरी तीज पर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए क्या उपाय करें ?

Kajari Teej 2023

Kajari Teej 2023 Details:- हिंदू पंचांग के अनुसार, कजरी तीज भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। इसे कजली तीज भी कहते हैं और बड़ी तीज भी कहते हैं। राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार के कई इलाकों में कजरी तीज को बूढ़ी तीज व सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज महिलाओं का पर्व है। हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। कजरी तीज कृष्ण जनमाष्टमी के पांच दिन पहले मनाई जाती है।

इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं। कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है और इस दिन गायों की भी पूजा की जाती है। कजरी तीज पर घर में झूले डाले जाते हैं और औरतें एक साथ मिलकर नाचती-गाती हैं। इस दिन कजरी गीत गाए जाते हैं। यूपी और बिहार में ढोलक बजाकर कजरी तीज के गीत गाए जाते हैं। 

Kajari Teej 2023:- कजरी तीज तिथि और शुभ मुहूर्त क्या है ?

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतिया तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है। सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं। इस साल कजरी तीज का व्रत शनिवार 02 सितंबर 2023 को रखा जाएगा।

सितंबर 1, 2023 को 23:52:42 से तृतीया आरम्भ

सितंबर 2, 2023 को 20:51:30 पर तृतीया समाप्त

Kajari Teej 2023:- कजरी तीज का महत्व क्या है ?

कजरी तीज का पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। इस तीज को कजरी तीज, सातुड़ी तीज और भादो तीज भी कहा जाता है। कजरी तीज का व्रत सभी महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्त करने के लिए करती हैं। कुंवारी कन्या भी मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करने के लिए कजरी तीज का व्रत करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मध्य भारत में कजरी नाम का एक वन मौजूद था। वहां पर रहने वाले लोग कजली के नाम से बहुत सारे लोक गीत गाया करते थे। एक बार वहां के राजा मृत्यु को प्राप्त हो गए। जिसके पश्चात उस राज्य की रानी भी राजा के साथ ही सती होकर अपने प्राण त्याग दिए। इस घटना के बाद वहां के लोग बहुत ही दुखी रहने लगे। तब से वहां पर कजरी के गीत पति और पत्नी के प्रेम से जोड़कर गाए जाने लगे। कजरी तीज के पर्व पर गाय की पूजा का खास महत्व होता है। संध्या काल में व्रत तोड़ने से पहले महिलाएं गायों को सत्तू के साथ चना और गुड़ खिलाते हैं।

Kajari Teej 2023:- कजरी तीज की पूजा सामग्री कौन सी है ?

कजरी तीज का व्रत करते समय कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। सामग्री इस प्रकार है-

पीला वस्त्र, कच्चा सूत, नए वस्त्र, केला के पत्ते, कलश, अक्षत या चावल,गाय का दूध, पंचामृत, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, जनेऊ, जटा, नारियल, सुपारी, दुर्वा, घास, घी, कपूर,बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, अबीर गुलाल, श्रीफल, चंदन आदि।

Kajari Teej 2023:- कजरी तीज के दिन क्या उपाय करें ?

पति की नौकरी के लिए उपाय

ज्योतिष के अनुसार, यदि तमाम कोशिशों के बाद भी आपके जीवनसाथी को नौकरी नहीं मिल रही है तो कजरी तीज की शाम सरसों के तेल का दीपक शनि मंदिर में जलाएं। इस उपाय से बेरोजगारी की समस्या दूर होगी।

घर की बरकत के लिए उपाय

यदि आपके घर में बरकत रुक गई है तो, कजरी तीज के दिन किसी गरीब को यथा शक्ति दान करें। मान्यता है कि इस उपाय से आपके घर में धन, संपत्ति और सुख की कमी नहीं रहेगी।

दांपत्य जीवन में खुशियां के लिए  उपाय

कजरी तीज वाले दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखें और सोलह श्रृंगार करके शिव मंदिर में शिवलिंग पर जल अर्पित करें। साथ ही मां पार्वती को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से आपके दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहेंगी।

मतभेद दूर करने के उपाय

यदि आपके वैवाहिक जीवन में मतभेद की स्थिति बनी हुई है तो कजरी तीज पर भगवान शिव को पीले तथा माता पार्वती को लाल वस्त्र चढ़ाएं। अब इन कपड़ों पर गांठ बांध कर अपने जीवनसाथी के जरूरी सामान के साथ रख दें। मान्यता है कि इससे वैचारिक मतभेद दूर होंगे। साथ ही दांपत्य जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर होती हैं।

Kajari Teej 2023:- कजरी तीज की पूजा विधि क्या है ?

कजरी तीज के अवसर पर नीमड़ी माता की पूजा करने का विधान है। पूजन से पहले मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है (घी और गुड़ से पाल बांधकर) और उसके पास नीम की टहनी को रोप देते हैं। तालाब में कच्चा दूध और जल डालते हैं और किनारे पर एक दीया जलाकर रखते हैं। थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं। इसके अलावा लोटे में कच्चा दूध लें और फिर शाम के समय शृंगार करने के बाद नीमड़ी माता की पूजा इस प्रकार करें..

  1. सर्वप्रथम नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे दें और चावल चढ़ाएं।
  2. नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाएं। मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए।
  3. नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं। दीवार पर लगी बिंदियों के सहारे लच्छा लगा दें।
  4. नीमड़ी माता को कोई फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें।
  5. पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।

Kajari Teej 2023:- कजरी तीज व्रत के नियम क्या है ?

  1. यह व्रत सामान्यत: निर्जला रहकर किया जाता है। हालांकि गर्भवती स्त्री फलाहार कर सकती हैं।
  2. यदि चांद उदय होते नहीं दिख पाये तो रात्रि में लगभग 11:30 बजे आसमान की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोला जा सकता है।
  3. उद्यापन के बाद संपूर्ण उपवास संभव नहीं हो तो फलाहार किया जा सकता है।

उपरोक्त विधि-विधान के अनुसार कजरी तीज का व्रत रखने से सौभाग्यवती स्त्री के परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। वहीं कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है।

Kajari Teej 2023:- कजली तीज की पौराणिक व्रत कथा कौन सी है ?

कजली तीज की पौराणिक व्रत कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। भाद्रपद महीने की कजली तीज आई। ब्राह्मणी ने तीज माता का व्रत रखा। ब्राह्मण से कहा आज मेरा तीज माता का व्रत है। कही से चने का सातु लेकर आओ। ब्राह्मण बोला, सातु कहां से लाऊं। तो ब्राह्मणी ने कहा कि चाहे चोरी करो चाहे डाका डालो। लेकिन मेरे लिए सातु लेकर आओ।

रात का समय था। ब्राह्मण घर से निकला और साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने वहां पर चने की दाल, घी, शक्कर लेकर सवा किलो तोलकर सातु बना लिया और जाने लगा। आवाज सुनकर दुकान के नौकर जाग गए और चोर-चोर चिल्लाने लगे।

साहूकार आया और ब्राह्मण को पकड़ लिया। ब्राह्मण बोला मैं चोर नहीं हूं। मैं एक गरीब ब्राह्मण हूं। मेरी पत्नी का आज तीज माता का व्रत है इसलिए मैं सिर्फ यह सवा किलो का सातु बना कर ले जा रहा था। साहूकार ने उसकी तलाशी ली। उसके पास सातु के अलावा कुछ नहीं मिला।चांद निकल आया था ब्राह्मणी इंतजार ही कर रही थी।

साहूकार ने कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा। उसने ब्राह्मण को सातु, गहने, रुपए, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर ठाठ से विदा किया। सबने मिलकर कजली माता की पूजा की। जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे… कजली माता की कृपा सब पर हो।

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