होलिका दहन 2025:- 2025 का होलिका दहन कब है? जानिए तारीख और समय

holika dahan

होलिका दहन 2025:-

होलिका दहन को छोटी होली भी कहा जाता है। इस वर्ष छोटी होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि यानि 24 मार्च 2024 को मनाई जा रही है । हिंदू धर्म में छोटी होली का अपना धार्मिक महत्व है। इस दिन को होलिका दहन के रूप में भी मनाया जाता है जिसमें शाम को होलिका जलाई जाती है।

कब है होलिका दहन?

ज्योतिषियों की मानें तो होलिका दहन 13 मार्च को देर रात होलिका दहन मुहूर्त 11 बजकर 26 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 30 मिनट तक है। इस दौरान होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन भद्रा पूँछ शाम 06 बजकर 57 मिनट से लेकर 08 बजकर 14 मिनट तक है। वहीं, भद्रा मुख शाम 08 बजकर 14 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक है।होलिका दहन पर भद्रा का साया: होलिका दहन पर भद्रा का विचार किया जाता है। भद्राकाल में होलिका दहन वर्जित है।

होली 2025 शुभ योग:-

फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस शुभ दिन पर देवों के देव महादेव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। इसके साथ ही उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। वहीं, बव एव बालव करण के योग हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

होली का महत्व:-

होली मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ये त्योहार पूरे देश में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली का पर्व बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत को प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। होली के दिन सारे लोग आपसी मतभेद को भूलाकर आपस में मिल जुलकर होली का त्योहार मनाते हैं और एक दूसरे को रंग लगाकर प्रेम प्रकट करते हैं। होली के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से परिवार में सुख, शांति बनी रहती है और घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

होलिका दहन की पूजाविधि:-

होलिका दहन की पूजा के लिए सही स्‍थान और सही दिशा देखकर बैठें। पूजा के स्‍थान को गंगाजल से पवित्र करें। उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाकर थाली में रोली, फूल, मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल, बताशे और कलश में पानी भरकर रख लें। इसके बाद होलिका मइया की पूजा करें। पूजा की सामग्री को अर्पित करें। साथ ही भगवान नरसिंह और विष्णुजी का नाम लेकर पांच अनाज अर्पित करें। फिर प्रह्लाद का नाम लेकर अनाज के दाने और फूल अर्पित करें। इसके बाद कच्चा सूत लेकर होलिका की सात होलिका की परिक्रमा करें और अंत में गुलाल डालकर जल अर्पित करें। होलिका दहन के बाद उसमें कच्चे आम, सप्तधान्य, नारियल, मुट्टे, मूंग, चना, चावल आदि चीजें अर्पित कर दें।

होलिका दहन के दिन क्या करें और क्या नहीं?

होलिका दहन के दिन किसी को धन उधार न दें, क्योंकि ये शुभ नहीं माना जाता है। होलिका दहन की पूजा करते समय पीले या सफेद रंग के कपड़े न पहनें।  महिलाएं होलिका दहन की शाम या पूजा करते समय अपने बालों को खुला न छोड़ें। इस दिन नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं। ऐसे में होलिका दहन की रात को सड़क पर पड़ी किसी भी वस्तु को न छुएं। नवविवाहित महिलाएं होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए न देखें। होलिका दहन के समय अपने अंदर की बुराइयों को जलाने की प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए। होलिका जलाने से पहले होलिका पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन सही मुहूर्त पर पूजा करनी चाहिए। इस दिन घी का दीपक जलाकर अपने घर की उत्तर दिशा में रखें। ऐसा करने से आपके घर में शांति और समृद्धि आती है।

होलिका दहन 2025 के उपाय :-

होलिका दहन की अग्नि में नारियल जलाने से यह माना जाता है कि घर की बुरी शक्तियां, हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाएं और समस्याएं उस अग्नि में जलकर भस्म हो गई। जिस व्यक्ति को कोई शारीरिक समस्या या किसी प्रकार की मानसिक समस्या होती है उसके सिर से नारियल को वारकर अग्नि में समर्पित कर दिया जाता है। होली की राख को घर के चारों ओर और दरवाजे पर छिंट दें। ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्तियों को प्रवेश नहीं होता है। घर में सुख-समृद्घि आती है। जौ, अरसी, कुश को गाय के गोबर में मिलाकर छोटा उपला बना लें। इसे घर के मुख्य दरवाजे पर लटका दें। ऐसा करने से बुरी शक्तियों, नज़र दोष, टोने-टोटके से घर और घर में रहने वाले लोग सुरक्षित रहते हैं। जलती हुई होलिकाग्नि के चारों ओर हाथ जोड़कर तीन परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से रोग दूर होता है।होलिका दहन के बाद बची हुई राख को माथे पर लगाएं। इसे लगाने का सही तरीका है बायीं ओर से दायीं ओर तीन रेखा खींचें। इसे त्रिपुण्ड कहते हैं। इसे लगाने से 27 देवता प्रसन्न होते हैं।शस्त्रों में बताया गया है कि पहली रेखा के स्वामी महादेव हैं, दूसरी रेखा के महेश्वर और तीसरी रेखा के शिव। इसी तरह होलिकाग्निक की राख लगाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इससे से आज्ञा चक्र उर्जावान होता है और मेधा शक्ति बढ़ती है।

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