होली 2025 :-
भारत में होली रंगों का त्यौहार है, जिसमें वसंत ऋतु का जश्न पाउडर के साथ मनाया जाता है। यह धार्मिकता का प्रतीक है, जिसमें कृष्ण, राधा और भगवान शिव की कहानियाँ शामिल हैं। यह त्यौहार एकता, प्रजनन अनुष्ठान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलीसबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो आने वाला है।
होली 2025 कब है :-
इस साल होली 14 मार्च 2025 को खेली जाएगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च सुबह 10 बजकर 35 मिनट शुरू होगी और 14 मार्च दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के कारण होली 14 मार्च को है।
होली से जुड़ी पौराणिक कहानी :-
हिरण्यकश्यपु राक्षसों का राजा था। उसका पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। राजा हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानता था। जब उसे पता चला कि प्रह्लाद विष्णु भक्त है, तो उसने प्रह्लाद को रोकने की कोशिश की, लेकिन प्रह्लाद के न मानने पर हिरण्यकश्यपु प्रह्लाद को यातनाएं देने लगा। हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को पहाड़ से नीचे गिराया, हाथी के पैरों से कुचलने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया। हिरण्यकश्यपु की होलिका नाम की एक बहन थी। उसे वरदान था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। हिरण्यकश्यपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर कई। किंतु भगवान विष्णु की कृपा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होने लगा और ये त्योहार मनाया जाने लगा।
होली का मुख्य संदेश :-
होलिका ने प्रहलाद को मारने के लिए उसे लेकर आग में बैठ गई थी। विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद तो बच गया, लेकिन होलिका जल गई। होली का मुख्य संदेश यही है कि इस दिन अपनी बुरी आदतों का छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। जिन लोगों से शत्रुता है, उनसे मित्र करनी चाहिए।
लड़कियों को होलिका दहन क्यों नहीं देखना चाहिए
किन महिलाओं को नहीं देखना चाहिए होलिका दहनमाना जाता है कि कई तरह के लोगों को होलिका दहन की पूजा नहीं देखनी चाहिए। इसमें सबसे पहले गर्भवती महिलाएं आती हैं। गर्भवती महिलाओं को होलिका दहन देखने से मना किया जाता है। कहा जाता है कि जलती अग्नि को देखने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। नई नवेली दुल्हन के लिए भी होली को लेकर कई तरह की हिदायतें हैं। कई जगह मान्यता है कि दुल्हन को पहली होली अपने मायके में मनानी चाहिए। वहीं उनके लिए ये भी हिदायत है कि वह होलिका दहन की पूजा से दूर रहें। दरअसल इस मनाही के पीछे का कारण ये है कि होलिका की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक मानकर उसमें आहुति दी जाती है। ऐसे में नवविवाहित दुल्हन को होलिका की अग्नि को देखने से बचना चाहिए। नई दुल्हन के लिए होलिका दहन देखना अशुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में सास और बहू को एक साथ होलिका देखना और उसकी पूजा करना बड़ा दोष माना गया है। कहा गया है कि बहू को सास के साथ होलिका दहन की पूजा नहीं करनी चाहिए। मान्यता है कि इस नियम की अनदेखी करने वाली सास और बहू के रिश्ते में हमेशा झगड़े होते रहते हैं और उनका आपसी प्रेम कम हो जाता है। नवजात बच्चों को भी होलिका दहन से दूर रखना चाहिए। मान्यता है कि होलिका की अग्नि में लोग अपनी नकारात्मक शक्तियों की आहुति देने आते हैं। ऐसे माहौल में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अधिक रहता है। किसी भी तरह की बुरी बला से दूर रखने के लिए नवजात शिशु को होलिका दहन से दूर रखना चाहिए।