हीरा रत्न कब धारण करें? हीरा रत्न किसे धारण करना चाहिए? हीरा रत्न क्यों धारण करना चाहिए?
हर किसी की जन्मपत्री में ग्रहों की कमजोर और बलवान दशा के अनुसार ही भाग्य में परिवर्तन आता रहता है। अशुभ ग्रहों को शुभ बनाना या शुभ ग्रहों को और अधिक शुभ बनाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं।
इसके लिए कोई मंत्र जाप, दान, औषधि स्नान, देव दर्शन आदि करता है। ऐसे में रत्न धारण एक महत्वपूर्ण एवं असरदार उपाय है. जिससे आपके जीवन में आ रही समस्त परेशानियों का हल निकल जाता है।
हीरा रत्न
नवरत्नों में हीरा को रत्नों का राजा माना गया है। शुक्र ग्रह से जुड़े इस अनमोल रत्न को धारण करने से सिर्फ आपकी खूबसूरती ही नहीं बल्कि आपका सौभाग्य भी बढ़ता है।रत्नों का राजा है हीरा, सौंदर्य के साथ शुभता भी बढ़ाता है। इसका उपरत्न ओपल, जरकन, फिरोजा और कुरंगी है। शुक्र ग्रह के इस रत्न को धारण करने पर व्यक्ति के सुख, सौभाग्य और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। हीरा धारण करने वाले व्यक्ति को जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, जारण-मारण, भूत बाधा आदि का असर नहीं होता है। इस अनमोल रत्न को कई लोग शौक के तौर पर पहनते हैं, लेकिन इसे पहनने से पहले किसी ज्योतिष के माध्यम से जरूर जान लेना चाहिए कि यह आपके लिए शुभ होगा या फिर नहीं।
हीरा रत्न किस राशि के लोगों को पहनना चाहिए?
वृषभ और तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र ग्रह होते हैं। ऐसे में इस राशि के जातकों के लिए हीरा रत्न ग्रहण करना बहुत ही लाभप्रद माना जाता है।
किन्हें धारण करना चाहिए हीरा?
कला जगत से जुड़े लोग जैसे फिल्म, संगीत, पेंटिंग आदि का कार्य करने वालों के लिए हीरा धारण करना शुभ होता है।
दांपत्य जीवन में मधुरता लाने और सुखमय बनाने के लिए हीरा पहनना शुभ होता है।
जिस पुरुष या स्त्री को प्रेत बाधा सताती हो, उसे तुरंत हीरा धारण करनी चाहिए।
जिनके जन्मांग में शुक्र वक्री, नीच, अस्तगत या पाप ग्रह के साथ हो तो उन्हें हीरा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।
जिस व्यक्ति का प्रतिदिन कई लोगों से मिलना-जुलना होता हो, उनके लिए हीरा शुभ होता है।
हीरा पहनने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
हीरा पहनने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह जरूर ले लें और जान लें कि आपके लिए कितने भार का हीरा किस धातु में धारण करना उचित रहेगा।
चटका या फिर टूटा-फूटा हीरा नहीं धारण करना चाहिए। इससे फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
ज्योतिष के अनुसार हीरे को कुछ रत्नों के साथ धारण करना शुभ नहीं होता है। जैसे माणिक और मूंगे के साथ हीरा नहीं पहनना चाहिए।
अपने रत्न से जड़ित अंगूठी लेने से पहले यह जांच लें कि आपका रत्न इस अंगूठी में हल्का सा नीचे की तरफ़ निकला हुआ हो। अंगूठी बन जाने के बाद सबसे पहले इसे अपने हाथ की इस रत्न के लिए निर्धारित उंगली में पहन कर देखें ताकि अंगूठी ढीली अथवा तंग होने की स्थिति में आप इसे उसी समय ठीक करवा सकें।
हीरे को हमेशा इस तरह से अंगूठी या लॉकेट में जड़वाए कि उसका स्पर्श आपके शरीर को होता रहे।
इसके पश्चात रत्न का शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इस चरण में विशेष विधियों के द्वारा रत्न को प्रत्येक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त किया जाता है। शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा के विधिवत पूरा हो जाने से रत्न की सकारात्मक प्रभाव देने की क्षमता बढ़ जाती है। रत्न प्रत्येक प्रकार की संभव अशुद्धियों और नकारात्मक उर्जा से मुक्त हो जाता है।
शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा हो जाने पर अंगूठी को प्राप्त कर लेने के पश्चात् इसे धारण करने से 24 से 48 घंटे पहले किसी कटोरी में गंगाजल अथवा कच्ची लस्सी में डुबो कर रख दे। कच्चे दूध में आधा हिस्सा पानी मिलाने से आप कच्ची लस्सी बना सकते हैं किन्तु ध्यान रहे कि दूध कच्चा होना चाहिए अर्थात इस दूध को उबाला न गया हो।
गंगाजल या कच्चे दूध वाली इस कटोरी को अपने घर के किसी स्वच्छ स्थान पर रखें। घर में पूजा के लिए बनाया गया स्थान इसे रखने के लिए उत्तम स्थान है। किन्तु घर में पूजा का स्थान न होने की स्थिति में आप इसे अपने अतिथि कक्ष अथवा रसोई घर में किसी उंचे तथा स्वच्छ स्थान पर रख सकते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस कटोरी को अपने घर के किसी भी शयन कक्ष में बिल्कुल न रखें।
हीरा रत्न धारण करने की विधि ? हीरा किस वार को धारण करें ? हीरा धारण करने का मंत्र , हीरा कितने रत्ती का धारण करें
यदि आपकी कुंडली में शुक्र गृह का प्रभाव ठीक है और आपको किसी ज्ञानी ज्योतिषी ने हीरा धारण करने की सलाह दी है तो आप हीरा धारण कर सकते है।
इसके लिए आपको कम से कम 4 रत्ती का हीरा सोने की अंगूठी में बनवाकर पहनना होगा।
अंगूठी पहनने के लिए किसी शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को सूर्योदय होने के बाद अंगूठी की प्राण प्रतिष्ठा कर लें।
जिसके लिए सबसे पहले अंगूठी को दूध, फिर गंगा जल, फिर शहद और फिर शक्कर के घोल में डाल दें। उसके पश्चात् शुक्र देव के नाम की पांच अगरबत्तियां जलाएं।
अब शुक्र देव से प्रार्थना करें की हे! शुक्र देव, मैं आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह रत्न धारण कर रहा हूँ कृपा मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें। अब अंगूठी को घोल से निकालकर 108 बार अगरबत्ती के ऊपर से घुमाते हुए
ॐ शं शुक्राय नम: का जाप करें। उसके बाद अंगूठी को लक्ष्मी देवी के चरणों में लगाकर कनिष्ठिका या छोटी ऊँगली में धारण करें। ध्यान रहे, हीरा रत्न में कोई दोष नहीं होना चाहिए अन्यथा उसके प्रभावों में कमी आ सकती है। शुक्र ग्रह के अच्छे प्रभाव प्राप्त करने के लिए सफ़ेद रंग का हीरा होना चाहिए जिसमे कोई दाग हो।
हीरा रत्न पहनने के लाभ
हीरा रत्न पहनने से सुख सुविधाओं में बढ़ोतरी होती है
हीरा रत्न पहनने से उम्र में बढ़ोतरी होने की मान्यता है।
हीरा मधुमेह, मूत्र रोग, किडनी रोग और नेत्र रोगों से पीड़ित लोगों के लिए भी शुभ होता है।
स्त्री वर्ग से जुड़ा व्यापार जैसे आभूषण, कपड़े, कॉस्मेटिक्स आदि काम करने वालों के लिए हीरा रत्न लाभकारी माना गया है।
हीरा रत्न धारण करने के नुकसान
हीरा रत्न धारण करने से खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है।
हीरा पहनने से आदमी में अहंकार बढ़ सकता है।