Gayatri Jayanti 2023:- गायत्री जयंती क्यों मनाई जाती है ? देवी गायत्री की पूजा करने के क्या लाभ हैं ?

Gayatri Jayanti 2023

Gayatri Jayanti 2023 Details:- हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन को गायत्री जयंती के रूप में मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों में मां गायत्री को वेदों की मां कहा गया है। मां गायत्री के 10 हाथ और 5 मुख है। जिसमें से 4 मुख वेदों के प्रतीक है और पांचवा मुख सर्वशक्तिमान शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। वहीमं दस हाथ भगवान विष्णु के प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्ना की पत्नी गायत्री देवी है और इनका मूल रूप श्री सावित्री देवी है।

Gayatri Jayanti 2023:- गायत्री जयंती कब है ?

गायत्री जयंती की तारीख – 31 मई 2023, बुधवार

गायत्री जयंती की तिथि – ज्येष्ठ एकादशी

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गायत्री जयंती का समय

गायत्री जयंती तिथि प्रारंभ – 30 मई 2023 को 01:07 पी एम

गायत्री जयंती तिथि समाप्त – 31 मई 2023 को 01:45 पी एम

Gayatri Jayanti 2023:- गायत्री जयंती का महत्व क्या है ?

गायत्री जयंती का पर्व हिंदूओं में काफी महत्वपूर्ण है। देवी गायत्री को लेकर भक्तों में काफी विश्वास और श्रद्धा है। कहा जाता है कि जब विश्वामित्र ने देवी गायत्री को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। तब उन्होंने कहा कि जब भी कोई देवी गायत्री के मंत्रों का जाप करेगा, उसकी समस्या के समाधान के लिए देवी गायत्री उसकी सहायता करेगी। उसके बाद, लोगों ने देवी से आशीर्वाद लेने के लिए गायत्री मंत्र का जाप करना शुरू कर दिया। वर्तमान में भी देवी गायत्री की पूजा का अत्यधिक महत्व है। लोगों का मानना ​​है कि इस दिन  देवी गायत्री स्वयं पृथ्वी पर आई थी। श्रावण पूर्णिमा पर लोग जीवन की बाधाओं और कष्टों को दूर करने के लिए देवी की पूजा करते हैं।

Gayatri Jayanti 2023:- कैसे प्रकट हुईं गायत्री माता ?

पौराणिक मान्यताओं के आधार पर ब्रह्म देव जब सृष्टि की रचना के प्रारंभ में थे, तब उन पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था। उन्होंने ही सर्वप्रथम गायत्री माता का आह्वान किया, अपने मुख से गायत्री मंत्र की व्याख्या की। इस तरह से गायत्री माता का प्रकाट्य हुआ। गायत्री माता से ही चारों वेद, शास्त्र आदि पैदा हुए।

Gayatri Jayanti 2023:- गायत्री माता के विवाह का जीवन क्या है ?

पौराणिक मान्याताओं के अनुसार महाशक्ति माता गायत्री का विवाह ब्रह्माजी से हुआ माना जाता है। हिंदू वैदिक साहित्य और पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी की दो पत्नी हैं, एक गायत्री और दूसरी सावित्री। प्रजापति ब्रह्मा की अर्धांगिनी होने के नाते दुनिया में निरंतरता बनाए रखने के लिए माता गायत्री चेतन जगत में कार्य करतीं हैं। वहीं माता सावित्री भौतिक जगत के संचालन में मदद करती है। इसे ऐसे समझे जब हम किसी तरह के आविष्कार या नयी उत्पत्ति से संबंधित खोज करते हैं तो वह मां सावित्री की अनुकंपा से प्राप्त होता है। वहीं माता गायत्री प्राणियों के भीतर विभिन्न प्रकार की शक्तियों के रूप में प्रवाहित होती हैं, वे किसी प्रकार की प्रतिभा, विशेषताओं और ज्ञान के रूप में हो सकती हैं। जो व्यक्ति माता गायत्री रूपी शक्ति के उपयोग का विधान ठीक तरह जानता है वह जीवन में वैसे ही सुख उठा सकता है जिसकी वह कामना करता है।

Gayatri Jayanti 2023:- मां गायत्री पूजा विधि क्या है ?

माता गायत्री की उपासना कभी भी और किसी भी स्थिति में की जा सकती है। मां गायत्री की पूजा को हर स्थिति में लाभदायी माना जाता है, लेकिन विधिपूर्वक, निःस्वार्थ और भावनाओं के कम से कम कर्मकाण्डों के साथ की गयी गायत्री पूजा को अति लाभदायी माना गया है। सुबह अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर किसी निश्चित स्थन और निश्चित समय पर सुखासन की स्थिति में बैठकर नियमित रूप से मां गायत्री की उपासना की जानी चाहिए। इसी के साथ कम से कम तीन मात्रा गायत्री मंत्र का जप भी करना चाहिए। मां गायत्री की उपासना की विधि इस प्रकार है।

  • सबसे पहले पंचकर्म इसके माध्यम से अपने शरीर को पवित्र बनाएं।
  • पंचकर्मों में पवित्रीकरण, आचमन, शिखा वंदन, प्राणायाम और न्यास शामिल है।
  • फिर देवी पूजन के लिए मां गायत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठे मां गायत्री को सच्चे मन से याद करें और उन्हे उस चित्र या प्रतिमा में अवतरित मानें।
  • फिर विधिविधान के साथ मां को जल, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप और नैवेद्य अपर्ण करें।
  • इसके बाद अपनी अंतर्आत्मा से मां का ध्यान करें और गायत्री मंत्र की तीन माला या कम से कम 15 मिनट तक मंत्र उच्चारण करें। ध्यान रहे मंत्र उच्चारण के समय आपके होठ हिलते रहें लेकिन आपकी आवाज इतनी मंद होनी चाहिए कि पास बैठे व्यक्ति को भी सुनाई न दें।

Gayatri Jayanti 2023:- देवी गायत्री की पूजा करने के क्या लाभ हैं ?

गायत्री मंत्र का जप करने, देवी गायत्री की पूजा करने और गायत्री जयंती की पूर्व संध्या पर प्रार्थना करने का एक महत्वपूर्ण महत्व है। कुछ लाभ इस प्रकार हैं:-

  • गायत्री मंत्र को लगातार पढ़कर भक्त अपने सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं।
  • यह भगवान की प्राप्ति और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
  • गायत्री मंत्र चमत्कारी शक्तियों से भरा हुआ मंत्र है जो भक्तों को सामाजिक खुशी, मौद्रिक लाभ और भगवान के आशीर्वाद एक साथ प्रदान करता है।
  • बुद्धिमानी प्राप्त करने और जीवन और करियर में सफलता प्राप्त करने में बच्चों के लिए सहायक।
  • यह गरीबी को खत्म करता है।
  • पर्यवेक्षक दुश्मनों के कारण सामना होने वाली कठिनाइयों से राहत प्राप्त करते हैं।
  • इस साल देवी गायत्री की पूजा करें और अपने जीवन में खुशियों का स्वागत करें।

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। 

Gayatri Jayanti 2023:- गायत्री माता की आरती इस प्रकार है:-

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता ।

सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥ जयति जय गायत्री…

आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री।

दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री॥ जयति जय गायत्री…

ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे।

भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे॥ जयति जय गायत्री…

भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि।

अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी॥ जयति जय गायत्री…

कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता।

सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता॥ जयति जय गायत्री…

ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे।

कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे॥ जयति जय गायत्री…

स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी।

जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी॥ जयति जय गायत्री…

जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे।

यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे॥ जयति जय गायत्री…

स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै।

विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै॥ जयति जय गायत्री…

काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये।

शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये॥ जयति जय गायत्री…

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता।

सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥

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