Bhadrapada Purnima 2023:- भाद्रपद पूर्णिमा क्या होती है ? भाद्रपद पूर्णिमा के दिन क्या उपाय करें ?

Bhadrapada Purnima 2023

Bhadrapada Purnima 2023 Details:- भाद्रपद मास की पूर्णिमा “भाद्रपद पूर्णिमा” के नाम से जानी जाती है। इस पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष अनुष्ठान पूरे किए जाते हैं। इस पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की पूजा, शिव पार्वती पूजा, चंद्रमा पूजा कार्य संपन्न होते हैं। इस पूर्णिमा के दिन व्रत का अत्यंत महत्व भी बताया गया जो सभी प्रकार के सुख वैभव को देने में सहायक बनता है।

पूर्णिमा की तिथि धार्मिक कर्म एवं अनुष्ठान के कार्य करने में अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन को मुहूर्त शास्त्र में भी स्थान प्राप्त है। शुभ मुहूर्त का निर्धारण इस तिथि में होता है जिसमें बहुत से नवीन कार्य भी करने कि बात कहीं गई है।

Bhadrapada Purnima 2023:- भाद्रपद पूर्णिमा व्रत मुहूर्त कौन सा है ?

सितंबर 28, 2023 को 18:51:36 से पूर्णिमा आरम्भ

सितंबर 29, 2023 को 15:29:27 पर पूर्णिमा समाप्त

Bhadrapada Purnima 2023:- भाद्रपद पूर्णिमा महत्व क्या है ?

हिंदू धर्म में भाद्रपद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन के गणेश उत्सव भी समाप्त हो जाएगा और पितरों को याद करते हुए श्राद्ध कर्म शुरू हो जाएगे। माना जाता है कि इस दिन स्नान-दान करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की पूजा करने का भी विधान है। माना जाता है कि इस कथा का पाठ करने से व्यक्ति को सारे दुखों से छुटकारा मिल जाता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

Bhadrapada Purnima 2023:- भाद्रपद पूर्णिमा के दिन क्या उपाय करें ?

सुखसमृद्धि के लिए करें यह पाठ

पुराणों में भाद्र पूर्णिमा को भाग्यशाली तिथि मानी गई है। इस दिन धन-संपदा प्राप्ति के लिए लक्ष्मी स्त्रोत या कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। साथ ही पूर्णिमा की मध्य रात्रि को भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें और रात के समय घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

माता लक्ष्मी का इस तरह मिलता है आशीर्वाद

शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि पूर्णिमा तिथि के दिन पीपल के वृक्ष में माता लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए इस दिन सुबह-स्नान के बाद पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं और धूप, दीप और फूल अर्पित करके भोग लगाएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

आर्थिक समस्याओं से इस उपाय से मिलती है मुक्ति

आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रोदय होने पर जल में कच्चा दूध, चावल और चीनी मिला लें और ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम: मंत्र का जप करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दें। ऐसा करने से धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही नौकरी व व्यवसाय में प्रगति होती है। अगर पति-पत्नी एक साथ अर्घ्य देते हैं तो उनका जीवन भर अटूट बना रहता है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह अर्घ्य काफी महत्वपूर्ण होता है क्यों कि ऐसा करने से हड्डी व आँख के रोग में फायदा मिलता है।

कोष में वृद्धि के लिए करें यह उपाय

भाद्र पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने 11 कौड़ियों पर हल्दी का लेप चढ़ाकर माता लक्ष्मी के चरणों में रख दें और फिल हल्दी या केसर का तिलक लगाकर इनकी पूजा पूजा करें। इसके बाद कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें। अगले दिन फिर इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या अलमारी में रख दें। ऐसा करने से कर्जों से राहत मिलती है और कोष में भी वृद्धि होती है।

ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए करें इसकी पूजा

भाद्र पूर्णिमा से लेकर हर पूर्णिमा को माता लक्ष्मी को इत्र, अगरबत्ती अर्पण करें और घर या व्यवसाय में व्यापार वृद्धि यंत्र या श्रीयंत्र की स्थापना करें और विधिवत इनकी पूजा करें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

आर्थिक उन्नति के लिए करें यह उपाय

भाद्र पूर्णिमा के दिन महालक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और पांच कुंवारी कन्याओं को भोजन कराएं। इसके बाद उनका आदर सत्कार के साथ दान-दक्षिणा दें और आशीर्वाद लें। फिर घर की सबसे बड़ी महिला को भोजन कराएं और माता लक्ष्मी का प्रसाद दें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त होता है और आर्थिक उन्नति होती है। साथ ही कर्जों से भी राहत मिलती है।

Bhadrapada Purnima 2023:- भाद्रपद पूर्णिमा व्रत पूजा विधि क्या है ?

धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है-

  • पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल जाग कर व्रत का संकल्प लें और किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें।
  • इसके बाद विधिवत तरीके से भगवान सत्यनारायण की पूजा करें और उन्हें नैवेद्य व फल-फूल अर्पित करें।
  • पूजन के बाद भगवान सत्यनारायण की कथा सुननी चाहिये। इसके बाद पंचामृत और चूरमे का प्रसाद वितरित करना चाहिये।
  • इस दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान देना चाहिए।

Bhadrapada Purnima 2023:- भाद्रपद पूर्णिमा कथा क्या है ?

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन उमा महेश्वर व्रत करने का भी विधान बताया गया है। धर्म शास्त्रों में इस पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इसके साथ ही रात्रि के समय जागरण करना चाहिए। नारद पुराण और मत्स्य पुराण में इस व्रत के बारे में भी बताया गया है। इस व्रत को करने से मांगलिक सुख मिलते हैं। दांपत्य सुख प्राप्त होता है।

उमा महेश्वर व्रत के साथ ही कथा भी सुननी चाहिए। इस कथा को सुनने से व्रत का संपूर्ण फल मिलता है। कथा इस प्रकार है –

ऋषि दुर्वासा जी एक बार भगवान शिव शंकर जी के दर्शन करने उनसे मिलने कैलाश जाते हैं । कैलाश पर भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन कर वह अत्यंत प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव, ऋषि दुर्वासा को एक पुष्प माला भेंट करते हैं जिसे दुर्वासा प्रेम से स्वीकार कर लेते हैं।

भगवान से भेंट कर लेने के पश्चात दुर्वासा वहां से आगे निकल पड़ते हैं। मार्ग में वह भगवान श्री विष्णु जी के दर्शन के लिए भी उत्सुक होते हैं ओर उनसे मिलने के लिए विष्णु लोक जाने के लिए आगे निकल पड़ते हैं लेकिन तभी उनकी भेंट इंद्र से होती है तब दुर्वाजी भगवान शिव द्वारा उन्हें प्रदान कि हुई माला वह इंद्र को भेंट दे देते हैं।

इंद्र अपने अभिमान में उस माला को अपने वाहन ऎरावत हाथी को पहना देता है। ऋषि दुर्वासा यह सब देखकर क्रोधित हो उठते हैं उन्हें यह कार्य अच्छा नही लगता है और दुर्वासा क्रोधित स्वर में इंद्र को कहते हैं कि तुमने महादेव शिव शंकर जी का अपमान किया है। इससे तुम्हें लक्ष्मी जी छोड़कर चली जायेंगी और तुम्हें इंद्र लोक और अपने सिंहासन को भी त्यागना पड़ेगा।

यह सुनकर इंद्र जी ने ऋषि दुर्वासा जी के समक्ष हाथ जोड़कर क्षमा याचना करी और इस श्राप से मुक्त होने का उपाय पूछा। इंद्र की विनय सुन कर दुर्वासा जी कुछ शांत हुए और क्रोध शांत होने पर ऋषि दुर्वासा जी ने इंद्र को बताया कि उसे उमा महेश्वर व्रत करना चाहिए। तभी वह अपने स्थान को पुन: प्राप्त हो पाएगा। तब इंद्र ने इस व्रत को किया। उमा महेश्वर व्रत के प्रभाव से लक्ष्मी जी समेत सभी वस्तुएं जो उनसे छिन गई थीं सभी की प्राप्ति होती है।

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