आमलकी एकादशी 2025:-
जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने जनकल्याण के लिए अपने शरीर से पुरुषोत्तम मास की एकादशियों सहित कुल 26 एकादशियों को उत्पंन किया। गीता में भी परमेश्वर श्री कृष्ण समस्त एकादशियों को अपने ही समान बलशाली बताया है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘आमलकी’ या ‘रंगभरी’ एकादशी के नाम से जाना जाता है। जो इस वर्ष 10 मार्च को मनाई जाएगी। इस एकादशी का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन ही भगवान शिव, माता पार्वती से विवाह के उपरांत पहली बार अपनी प्रिय काशी नगरी आए थे और मान्यता के अनुसार वहां आकर शिव ने देवी पार्वती के साथ होली खेली थी।
आमलकी एकादशी 2025 तारीख और समय :-
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 09 मार्च को सुबह 07 बजकर 45 मिनट पर होगी। वहीं, शुक्ल पक्ष की एकादशी का समापन 10 मार्च को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर होगा। 10 मार्च को आमलकी एकादशी मनाई जाएगी।
आमलकी एकादशी क्यों मनाई जाती है?
ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया था। मान्यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवला और श्री हरि विष्णु की पूजा करने से मोक्ष मिलता है। वहीं इस दिन शिव जी पार्वती माता के पहली बार शादी के बाद काशी लाए थे।
आमलकी एकादशी 2025 व्रत और पूजा विधि :-
आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है। आमलकी एकादशी की पूजा विधि इस प्रकार है।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा स्थल पर धूप-दीप जलाएं। भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीले फूल, पिले फल, और तुलसी दल चढ़ाएं।आंवले के पेड़ की पूजा करें।आंवले के पेड़ के नीचे किसी गरीब, ज़रूरतमंद, या ब्राह्मण को भोजन कराएं। अगले दिन द्वादशी को स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें। ब्राह्मण को कलश, वस्त्र, और आंवला का दान करें। इसके बाद अन्न ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
आंवले के पूजन का महत्व :-
पदम पुराण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी के साथ-साथ आंवले के वृक्ष की पूजा का खास विधान है। क्योंकि इसी दिन सृष्टि के आरंभ में सबसे पहले आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी। आंवला वृक्ष भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इसके स्मरण मात्र से गोदान का फल मिलता है, स्पर्श करने से दोगुना और फल भक्षण करने से तिगुना फल प्राप्त होता है। इसके मूल में विष्णु, उसके ऊपर ब्रह्मा, तने में रूद्र, शाखाओं में मुनिगण, टहनियों में देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुदगण और फलों में समस्त प्रजापति वास करते हैं।”अतः यह सब पापों को हरने वाला परम पूज्य वृक्ष है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर नारायण की पूजा करने से एक हजार गौ दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
आमलकी एकादशी के दिन जरूर करें ये उपाय :-
आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दिन घर में आंवले का वृक्ष लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे करने से कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलती है और धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। इस दिन 21 ताजा पीले फूल की माला बनाकर भगवान विष्णु को अर्पित करें।इस दिन भगवान को खोए से बनी मिठाई का भोग लगाएं। इससे भगवान प्रसन्न होते और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।आमलकी एकादशी के दिन आंवले का बहुत महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु को आंवले का फल अर्पित करें। साथ ही विधि-विधान से पूजा करें। इससे भगवान आपकी सभी मनोकामना को पूरा करेंगे। धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके साथ ही एकाक्षी नारियल अर्पित करें। पूजा के बाद इस नारियल को पीले कपड़े में बांधकर अपने पास रख लें। आमलकी एकादशी के दिन आंवले या आंवले के पेड़ को छूकर प्रणाम करें। इससे कार्य में दोगुनी सफलता मिलेगी। कार्यक्षेत्र में अगर आपको किसी भी तरह की समस्या आ रही है, तो इस दिन आंवले के वृक्ष में जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद इसकी मिट्टी को माथे पर लगाना चाहिए। अगर आप पति-पत्नी के संबंध में किसी तरह की खटास है या आप अपने जीवनसाथी की कोई इच्छा पूरी करना चाह रहें हैं तो आंवले के वृक्ष के तने पर सात बार सूत का धागा लपेटें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं।