Vrishchika Sankranti 2023: वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं| इस दिन भगवान सूर्य की उपासना करना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है| इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान करने की भी परंपरा है| इस दिन किया गया दान अत्यंत पुण्य फलदायी साबित होता है| इस दिन सूर्य देव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे जो अगले एक महीने तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे|
वृश्चिक संक्रांति तिथि (Vrishchika Sankranti 2023 Date)
- वृश्चिक संक्रांति 17 नवंबर, 2023 को शुक्रवार के दिन होगी।
- वृश्चिक संक्रांति तिथि 17 नवंबर, 2023 को 06:45 मिनट पर शुरू होगी।
- वृश्चिक संक्रांति तिथि 17 नवंबर, 2023 को 12:06 मिनट पर खत्म होगी।
Vrishchika Sankranti 2023: वृश्चिक संक्रांति का महत्व :-
संक्रांति के दिन धर्म कर्म और दान-पुण्य के काम करने का विशेष महत्व होता है। इसलिए बहुत से लोग इस दिन भी खाने पीने की वस्तुए और कपडे आदि गरीबों में दान करते है। वृश्चिक संक्रांति के दिन संक्रमण स्नान, विष्णु और दान का खास महत्व होता है। इस दिन श्राद्ध और पितृ तर्पण का भी खास महत्व होता है।
वृश्चिक संक्रांति पर स्नान दान का महत्व
वृश्चिक संक्रांति के दिन धर्म, कर्म और दान पुण्य के काम को विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए वृश्चिक संक्रांति के दिन खाने पीने की वस्तुएं और कपड़े दान करने का विशेष महत्व माना जाता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन संक्रमण स्नान, विष्णु और दान का खास महत्व माना जाता है। इस दिन श्राद्ध और पित्र तर्पण का विशेष रूप से महत्व माना जाता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन 16 घड़ियां को बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति की जा सकती है। यह दान Sankranti काल में करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार वृश्चिक संक्रांति में ब्राह्मण को गाय दान करने का विशेष महत्व माना जाता है।
Vrishchika Sankranti 2023: कब और क्यों मनाई जाती है वृश्चिक संक्रांति:-
संक्रांति को हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में मौजूद 12 राशियों में सूर्य के प्रवेश को संक्रांति कहते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार साल में कुल 12 संक्रांति आती हैं। क्योंकि सूर्य बारी-बारी से मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन राशियों में प्रवेश करते हैं। जैसे मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। ठीक ऐसे ही वृश्चिक राशि में सूर्य के आगमन के दिन वृश्चिक संक्रांति मनाई जाती है।
Vrishchika Sankranti 2023: वृश्चिक संक्रांति पूजन विधि
- सूर्योदय से पहले उठकर सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए।
- पानी में लाल चंदन मिलाकर तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं।
- रोली, हल्दी व सिंदूर मिश्रित जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- लाल दीपक यानी घी में लाल चंदन मिलाकर दीपक लगाएं।
- भगवान सूर्य को लाल फूल चढ़ाएं।
- गुग्गुल की धूप करें, रोली, केसर, सिंदूर आदि चढ़ाना चाहिए।
- गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं और लाल चंदन की माला से “ॐ दिनकराय नमः” मंत्र का जाप करें।
- पूजन के बाद नैवेद्य लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में बांट दें।
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य का फल
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य का गोचर कई राशियों के लिए शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस परिवर्तन से वृश्चिक राशि के जातकों हो व्यापार और नौकरी में लाभ प्राप्त हो सकता है। इस दिन रुके हुए कार्य सकते हैं और साथ में मान सम्मान में वृद्धि होती है। ज्योतिष दृष्टि से यह गोचर विशेष रूप से लाभकारी होता है। इस दिन वृश्चिक राशि के जातकों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। वृश्चिक संक्रांति के दिन समाज में व्यक्ति का मान सम्मान बढ़ता है। इस दिन किसी भी तरह का घमंड नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से नुकसान उठाना पड़ सकता है। वृश्चिक संक्रांति के दिन वाणी में मधुरता रखनी चाहिए।
वृश्चिक संक्रांति के भाग्योदय के उपाय
- वृश्चिक संक्रांति के दिन भाग्य उदय के लिए भगवान शिव जी की उपासना की जाती है।
- इस दिन ॐ सो सोमाय नमः मंत्र का जाप करने से नागिन भेजें वृद्धि होती है।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन जातकों को भाग्य उदय के लिए मोती ,सोना, चांदी, वंश पात्र, चावल, मिश्री, सफेद कपड़ा, शंख, कपूर, सफेद बैल, सफेद गाय, दूध, दही, चंदन, निर्मल जल, सफेद सीपी, सफेद मोती, एक जोड़ा जनेऊ, दक्षिणा के साथ दान करना चाहिए।
- भाग्य उदय तेज करने के लिए चांदी के गिलास में जल पीना चाहिए।
- वृश्चिक राशि के जातकों को भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
- कनिष्ठा या छोटी उंगली में मोती रत्न धारण करने से भाग्य उदय करने में सहायक होता है।
- वृश्चिक राशि के जातक भाग्य उदय के लिए सोमवार या जातक जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल के वृक्ष की चार परिक्रमा लगाएं और सफेद फूल अर्पण करना चाहिए।
- पीपल के पेड़ की कुछ सूखी डालियों तो स्नान के पानी में उस समय रखकर फिर उस जल से स्नान करना चाहिए, ऐसा करने से जातकों को भाग्यउदय के लिए सहायता मिलती है।
- पीपल के पेड़ के नीचे हर सोमवार कपूर मिलाकर घी का दीपक लगाना चाहिए, इससे भाग्योदय होता है।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन जातकों को सोमवार का व्रत करना चाहिए।
- वृश्चिक संक्रांति पर वृश्चिक राशि के जातकों को भाग्य उन्नति के लिए माता पिता के चरण छू कर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए।
- पीपल का एक पत्ता सोमवार और एक पत्ता जातक के जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल का पत्ता तोड़ कर उसे कार्यस्थल पर रखने से सफलता प्राप्त होती है और धन लाभ के नए मार्ग खुलते हैं।
Vrishchika Sankranti 2023: वृश्चिक संक्रांति के दिन दान पुण्य का महत्व–
- इस संक्रांति पर दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन भोजन और कपड़े को दान करने का विशेष महत्व दिया जाता है।
- इस दिन विष्णु की पूजा,स्नान, श्राद्ध और पितृ तर्पण भी किया जाता है।
- माना जाता है कि वृश्चिक संक्रांति के दिन 16 घड़ियों का दान करना लाभ देता है।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- इस दिन ब्राह्मण को गाय दान देने का विशेष महत्व होता है।
Vrishchika Sankranti 2023: वृश्चिक संक्रांति के उपाय–
- इस दिन अपने भाग्य को जाग्रत करने के लिए शिव जी की पूजा करनी चाहिए।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन विशेष रूप से चांदी के गिलास में पानी पीना चाहिए।
- इस दिन वृश्चिक राशि के लोगों को भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहिए।
- साथ ही साथ वृश्चिक राशि के जातकों को ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप भी लाभ प्रदान करता है।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन कनिष्ठा और छोटी ऊँगली में रत्न या मोती को पहनना चाहिए।
- इस दिन वृश्चिक राशि के लोगों को पीपल के पेड़ की परिक्रमा करनी चाहिए।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन स्नान का अत्यधिक महत्व होता है।
- इसलिए पीपल के पेड़ की लकड़ियों को पानी में डालकर रखना चाहिए।
- इसके पश्चात उस पानी से स्नान करना चाहिए इससे शुभ फल प्राप्त होते हैं।
- वृश्चिक संक्रांति के दिन व्रत रखना भी शुभ माना जाता है।
- इस दिन अहंकार को त्याग देना चाहिए और सभी लोगों से मीठे स्वर में बात करना चाहिए।