Guru Purnima 2025:- गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाएगी ? गुरु पूर्णिमा के दिन करने वाले ज्योतिषीय उपाय कौन से है ?

guru purnima 2025

Guru Purnima 2025:- हिंदू संस्कृति में गुरु को हमेशा अग्रणी माना गया है। लोग गुरु को भगवान के समकक्ष पूजनीय मानते है। हमारे गुरुओं के प्रति इसी श्रद्धा और आभार को व्यक्त करने के लिए गुरु पूर्णिमा (guru purnima) या व्यास पूर्णिमा मनाई जाती है। गुरु एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है वह इंसान जो हमारे अज्ञान को मिटाकर हमें ज्ञान के प्रकाश से अवगत करवाता है। हिंदू धर्म में आषाढ़ माह की पूर्णिमा का दिन वर्ष के सबसे शुभ दिनों में से एक है। इसी दिन को गुरु पूर्णिमा उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह उत्सव 21 जुलाई 2024, सोमवार के दिन मनाया जाएगा। मान्यता है कि ऋषि वेद व्यास का जन्म गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ था। वेद व्यास को कई पुराणों, वेदों और महाभारत जैसे कुछ सबसे महत्वपूर्ण हिंदू ग्रंथों का रचियता होने का श्रेय प्राप्त है।

Guru Purnima 2025:- गुरु पूर्णिमा की तिथि और मुहूर्त क्या है ?

पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जुलाई को रात 1:36 बजे होगी और इसका समापन 11 जुलाई को रात 2:06 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई को ही मनाया जाएगा।

Guru Purnima 2025:- गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है ?

गुरु पूर्णिमा 2025– ऋषि मुनियों ने कई वर्षाें के कठोर परिश्रम और काफी शोध करने के बाद इस संसार को ज्ञान का भंडार दिया है। ऐसे महापुरुषों को आभार प्रकट करने के लिए इस दिन गुरुओं को पूजा जाता है। हिंदू धर्म में इस गुरु अराधना के दिन वेदव्यास को ईश्वर के रूप में पूजते हैं। वेदव्याज जी ने चारों वेदों की रचना की थी और गुरु पूर्णिमा के दिन ही इनका जन्म हुआ। तम का नाश करना ही गुरु शब्द का मतलब है।

गुरु पूर्णिमा 2025– इस दिन को मनाने का यह भी माना जाता है कि वर्षा के बाद जब आकाश में काले बादल आ जाते हैं और अंधकार फैला देते हैं। उस समय चंद्रमा गुरु के रूप में आकर अपनी चांदनी से चारों दिशाओं को उज्ज्वल कर देता है। वास्तविकता में भी गुरु अपनी ज्ञान की रोशनी से अज्ञान का अंधकार नष्ट करता है। इसलिए गुरु को समर्पित यह गुरु पूर्णिमा का दिन मनाया जाता है।

Guru Purnima 2025:- गुरु पूर्णिमा का महत्त्व क्या है ?

गुरु पूर्णिमा हमारे अज्ञान को दूर करने वाले शिक्षकों के सम्मान में मनाई जाती है। प्राचीन काल से ही शिष्यों के जीवन में गुरु का विशेष स्थान रहा है। हिंदू धर्म की सभी पवित्र पुस्तकें गुरुओं के महत्व और एक गुरु और उनके शिष्य (शिष्य) के बीच के असाधारण बंधन को दर्शाती हैं। एक सदियों पुराना संस्कृत वाक्यांश माता पिता गुरु दैवम कहता है कि पहला स्थान माता के लिए, दूसरा पिता के लिए, तीसरा गुरु के लिए और आगे भगवान के लिए आरक्षित है। इस प्रकार, हिंदू परंपरा में शिक्षकों को देवताओं से ऊंचा स्थान दिया गया है। गुरु पूर्णिमा (guru purnima) मुख्य रूप से दुनिया भर में हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध समुदायों द्वारा गुरुओं या शिक्षकों के सम्मान में मनाई जाती है। भारत में, गुरु दैनिक जीवन में एक सम्मानित स्थान रखते हैं, क्योंकि वे अपने शिष्यों को ज्ञान और शिक्षा प्रदान करते हैं। किसी व्यक्ति के जीवन में गुरु की उपस्थिति उन्हें सही दिशा की ओर लेकर जाने का काम करती है, ताकि वह एक सैद्धांतिक जीवन जी सके। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी गुरु पूर्णिमा के दिन का सम्मान करते हैं, क्योंकि भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश इसी दिन दिया था। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र दिन पर, जहां भारत में लोग इस त्योहार को अत्यधिक धार्मिक महत्व देते हैं, इसीलिए हमने यहां इस शुभ दिन को पूरे दिल से विधि-विधान के साथ मनाने के सर्वोत्तम तरीकों का वर्णन किया हैं।

Guru Purnima 2025:- गुरु पूर्णिमा के दिन कौन से उपाय करें ?

  • जातक की कुंडली में अगर किसी तरह का कोई दोष है तो इस दिन ऊँ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप करें।
  • भाग्य में वृद्धि के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जरूर जलाएं।
  • अगर किसी जातक के वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी चल रही हो तो इस पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य देते हुए मन में आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • गुरु पूर्णिमा के दिन गीता का पाठ अवश्य करें।

Guru Purnima 2025:- गुरु पूर्णिमा पूजन विधि क्या है ?

  • सबसे पहले गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठे और स्नानादि करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • पूजा घर के सामने अपने इष्टदेव और गुरु की प्रतिमा को रखें और प्रणाम कर पूजा का संकल्प लें।
  • फिर इसके बाद पूजा करने के स्थान पर सफेद या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर अपने इष्टदेव, गुरु और वेदव्यास की प्रतिमा को स्थापित करें।
  • इसके बाद गणेश का स्मरण और वंदना करते हुए सभी देवी-देवताओं और गुरुओं को रोली, चंदन, फल-फूल और मिठाई को अर्पित करें।
  • -इसके बाद गुरु का आह्रान करें और गुरुपरंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजां करिष्ये’ मंत्र का जाप करें।
  • पूजा के बाद अपने से बड़े लोगों का आशीर्वाद प्राप्त करें।

Guru Purnima 2025:- गुरु पूर्णिमा व्रत की कथा क्या है ?

कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास जी को भगवान विष्णु का अंश माना गया है। वेदव्यास जी की माता का नाम सत्यवती और पिता का नाम ऋषि पराशर था। महर्षि वेदव्यास जी को बचपन से ही अध्यात्म में बहुत रुचि थी। एक बार उन्होंने अपने माता-पिता से प्रभु के दर्शन करने की इच्छा प्रकट की और वन में तपस्या करने की अनुमति मांगी। वेदव्यास जी की इस बात को सुनकर उनकी माता ने उन्हें वन जाने को मना कर दिया।

मां की इस बात को सुनकर वेदव्यास जी वन जाने की हट करने लगें। वेदव्यास जी के हट करने की वजह से माता सत्यवती को उन्हें वन जाने की आज्ञा देनी पड़ी। जब वेदव्यास जी वन की ओर जा रहे थे, तब उनकी माता ने उनसे कहा कि जब तुम्हें अपने घर की याद आ जाए, तो तुम वापस आ जाना। माता के इस वचन को सुनकर वेदव्यास जी वन की तरफ चल दिए।

वन में जाकर वेदव्यास जी कठोर तपस्या करने लगें। भगवान के आशीर्वाद से वेदव्यास जी को संस्कृत भाषा का ज्ञान हो गया। इसके बाद उन्होंने वेद, महाभारत 18 महापुराणों एवं ब्रह्म सूत्र की रचना की। लोगों वेदों का ज्ञान देने की वजह से आज भी इन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन प्रथम गुरु के रूप में याद किया जाता है।

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