माघ पूर्णिमा, हिन्दु कैलेण्डर में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण दिन होता है। धर्म ग्रन्थों में माघ माह में किये जाने वाले पवित्र स्नान एवं तप की महिमा का वर्णन किया गया है। मान्यताओं के अनुसार, माघ माह का प्रत्येक दिन दान-पुण्य आदि गतिविधियों हेतु विशेष महत्वपूर्ण होता है। माघ पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा के नाम से अधिक लोकप्रिय है तथा इसे माघ माह का अन्तिम एवं सर्वोत्तम दिन माना जाता है। माघी पूर्णिमा के अवसर पर भक्तगण प्रयाग स्थित गंगा, यमुना तथा सरस्वती नदी के संगम स्थल त्रिवेणी पर, पवित्र स्नान, दान-दक्षिणा, गौदान, तथा हवन आदि धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
माघ माह में प्रतिदिन भक्तगण प्रातःकाल गंगा अथवा यमुना नदी में स्नान करते हैं। यह नित्य स्नान पौष पूर्णिमा से आरम्भ होकर माघ पूर्णिमा पर समाप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, इस काल में किये गये दान-पुण्य आदि धार्मिक कर्म अति शीघ्र फलित होते हैं। अतः इस पावन काल में भक्तगण यथा शक्ति दान-पुण्य आदि कर्म करते हैं। माघ पूर्णिमा के दिन कल्पवास का समापन भी होता है। माघ माह में अनेक भक्त एक माह तक प्रयाग स्थित गंगा तट पर निवास करते हैं, जिसे कल्पवास कहा जाता है।
Magh Purnima 2026:- माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा रविवार, फरवरी 1, 2026 को
माघ पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय – 05:26 पी एम
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – फरवरी 01, 2026 को 05:52 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – फरवरी 02, 2026 को 03:38 ए एम बजे
Magh Purnima 2026:- माघ पूर्णिमा व्रत विधि
माघ पूर्णिमा का व्रत करने की विधि सरल किंतु प्रभावशाली है। नीचे इसकी विस्तृत प्रक्रिया दी गई है:
- प्रातः स्नान: प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी, सरोवर या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- संकल्प: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। संकल्प में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
- पूजा: भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा करें। पूजा में फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य (प्रसाद) अर्पित करें।
- व्रत: पूरे दिन उपवास करें। यदि पूर्ण उपवास संभव न हो, तो फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- दान: दिन के अंत में गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें। अनाज, वस्त्र, और धन का दान विशेष फलदायी होता है।
- व्रत समापन: रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलें।
Magh Purnima 2026:- माघ पूर्णिमा का महत्व
मघा नक्षत्र के नाम से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति होती है। मान्यता है कि माघ माह में देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण करके प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में लिखे कथनों के अनुसार यदि माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और बढ़ जाता है।
Magh Purnima 2026:- माघ पूर्णिमा पर किए जाने वाले उपाय
मां लक्ष्मी की पूजा
माघ पूर्णिमा के दिन प्रातः स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करें। देवी को कमल का फूल और नारियल अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं और श्रीसूक्त का पाठ करें। ऐसा करने से आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं और धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पीपल के वृक्ष की पूजा
हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष को विशेष महत्व दिया गया है। माना जाता है कि इस वृक्ष में भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा का वास होता है। माघ पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर जल में थोड़ा दूध मिलाकर अर्पित करें। शाम के समय वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं। यह उपाय जीवन में सकारात्मकता लाता है और सभी समस्याओं का निवारण करता है।
पीली कौड़ियों का उपाय
माघ पूर्णिमा के दिन 11 पीली कौड़ियों को लेकर उन्हें लाल या पीले कपड़े में बांधकर माता लक्ष्मी के चरणों में रखें। इसके बाद इस पोटली को अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय धन वृद्धि और आर्थिक स्थिरता प्रदान करता है।





