Pauhsa Putrada Ekadashi 2025:- कब है पौष पुत्रदा एकादशी 2025, जानें क्यों और कैसे मनायी जाती है पुत्रदा एकादशी जैसे होते हैं भगवान विष्णु प्रसन्न!!

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Pauhsa Putrada Ekadashi 2025:- पौष पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

30 दिसंबर 2025 को पौष पुत्रदा एकादशी है। इस दिन शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:27 बजे से 06:21 बजे तक है, और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक है. सुबह 7:15 बजे सूर्योदय होगा.

Pauhsa Putrada Ekadashi 2025:- एकादशी व्रत कैसे रखें?

एकादशी के दिन पारंपरिक रूप से निर्जला व्रत रखा जाता है, यानी बिना पानी के व्रत करना होता है. हालांकि, यदि कोई निर्जला व्रत नहीं रख सकता, तो वह फलाहार भी कर सकता है. दूध के साथ फल खाना भी मान्य है.

Pauhsa Putrada Ekadashi 2025:- पौष पुत्रदा एकादशी व्रत क्यों रखा जाता है?

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत का संबंध विशेष रूप से संतान सुख और बच्चों के कल्याण से है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से संतान सुख प्राप्त होता है और बच्चे स्वस्थ रहते हैं. साथ ही, यह व्रत व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाता है और उच्च लोकों की प्राप्ति का मार्ग खोलता है.

Pauhsa Putrada Ekadashi 2025:- कौन कर सकता है यह व्रत?

यह व्रत सभी लोगों के लिए शुभ होता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके संतान सुख में कोई समस्या हो. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है.

Pauhsa Putrada Ekadashi 2025:- पौष पुत्रदा एकादशी 2025 की पूजा विधि

पुत्रदा एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। फिर दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पीताम्बरी वस्त्र धारण कराएं।

इसके बाद भगवान विष्णु का श्रृंगार करें और उन्हें चंदन से तिलक लगाएं। फिर भगवान विष्णु को समस्त सामग्री अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पीली मिठाई, खीर, पंचमेवा का भोग लगाएं और श्री हरि नारायण के मंत्रों का जाप करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

इसके बाद भगवान विष्णु की परिवार समेत आरती गाएं और फिर भोग को प्रसाद के रूप में सभी परिजनों में वितरित करें। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान विष्णु की पूजा के बाद तुक्लसी पूजन अवश्य करें नहीं तो एकादशी के व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाएगा।

Pauhsa Putrada Ekadashi 2025:- पौष पुत्रदा एकादशी की कथा

एक समय की बात है राजा सुकेतुमान की कोई संतान नहीं थी, जिसके चलते वे और उनकी रानी शैब्या बहुत दुखी रहते थे। उन्हें यह दुख परेशान कर रहा था कि मृत्यु के बाद उनके पूर्वजों का उद्धार कौन करेगा और कौन उन्हें मोक्ष दिलाएगा? वे सोचते थे कि उत्तराधिकारी न होने के चलते उनके पूर्वजों की मुक्ति नहीं मिल पाएगी और न ही मोक्ष की प्राप्ति होगी।

यह सब सोच राजा सुकेतुमान राजपाट त्याग कर वन में चले गए। वन में उनकी मुलाकात कई सारे ऋषियों से हुई। उस समय राजा सुकेतुमान ने अपनी व्यथा (परेशानी) सुनाई। तब ऋषियों ने राजा सुकेतुमान को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। यह जान राजा सुकेतुमान पुनः अपने राज्य लौट आएं। ऋषि के कहे अनुसार, राजा सुकेतुमान और रानी शैब्या ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना की।

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा सुकेतुमान को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, तभी से यह व्रत रखने की परंपरा शुरू हो गई। कहते हैं कि जो लोग इस व्रत का पालन करते हैं, उनकी संतान से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।

Pauhsa Putrada Ekadashi 2025:- पुत्रदा एकादशी पर करें ये उपाय

पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखकर केले के पौधे की पूजा करें और केले की जड़ में जल अर्पित करें. ऐसा करने से नि:संतानों को संतान सुख मिलता है. पुत्रदा एकादशी का व्रत रखकर पूजा के समय संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए. इस मंत्र के जाप से दंपत्तियों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और संतान की उम्र लंबी होती है. पौष पुत्रदा एकादशी के दिन श्रीविष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से विवाह की मनोकामना पूरी होती हैं और साथ ही इसका पाठ करने से घर में धन-धान्य, सुख-संपदा बनी रहती है.

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