योगिनी एकादशी 2025 :-
एकादशी की तिथि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी परेशानियां, रोग और कमियां दूर होते हैं और मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं। आषाढ़ मास की पहली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। योगिनी एकादशी के दिन व्रत करने से मनुष्य को पृथ्वी पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। यदि वह इस दिन दान करता है तो उसे 84,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। आइए
योगिनी एकादशी 2025 कब है ?
21 जून को योगिनी एकादशी है। यह पर्व हर वर्ष आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।
योगिनी एकादशी 2025 महत्व :-
पदमपुराण के अनुसार योगिनी एकादशी का महत्व समस्त पातकों का नाश करने वाली संसार सागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए सनातन नौका के सामान है। यह देह की समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट कर सुंदर रूप, गुण और यश देने वाली है। इस व्रत का फल 88 हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के फल के समान है। इस व्रत के प्रभाव से जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और अंत में प्राणी को वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है।
योगिनी एकादशी 2025 की पूजा विधि :-
योगिनी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
श्री हरि विष्णु को पीला रंग प्रिय होता है, इसीलिए इस दिन पीला रंग धारण करें।
भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए चौकी सजाएं और विष्णु भगवान की प्रतिमा रखें।
इसके अतिरिक्त, भगवान विष्णु पर पीले फूलों की माला अर्पित की जाती है।
भगवान विष्णु को तिलक लगाएं।
पूजा सामग्री में तुलसी दल, फल, मिठाइयां और फूल आदि सम्मिलित किए जाते हैं।
इस दिन योगिनी एकादशी की कथा सुनें और अगले दिन व्रत का पारण करें।
योगिनी एकादशी 2025 की कथा :-
शास्त्रों के अनुसार, जब स्वर्ग में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। राजा कुबेर देवों के देव महादेव के अनन्य भक्त थे। शिवजी की रोजाना श्रद्धा भाव से पूजा करते थे। एक दिन माली हेम कामासक्त की वजह से राजा कुबेर को समय पर फूल नहीं पहुंचा सका। यह जान राजा कुबेर क्रोधित होकर बोले- तुमने ईश्वर भक्ति के बजाय कामासक्त को प्राथमिकता दी है। अतः मैं शाप देता हूं कि तुम्हें स्त्री वियोग मिलेगा ? साथ ही धरती पर कष्ट भोगना पड़ेगा। कालांतर में शाप के चलते माली हेम को कुष्ठ रोग हो गया। वर्षों तक हेम को पृथ्वी पर दुख और कष्ट सहना पड़ा। एक दिन माली हेम को मार्कण्डेय ऋषि के दर्शन हुए। उस समय उसने मार्कण्डेय ऋषि से अपनी व्यथा बताई। तब मार्कण्डेय ऋषि ने माली हेम को योगिनी एकादशी के बारे बताया। मार्कण्डेय ऋषि ने कहा- इस व्रत को करने से तुम्हारे समस्त पापों का नाश होगा। साथ ही तुम्हें स्वर्ग लोक भी प्राप्त होगा। माली हेम ने विधि विधान से एकादशी का व्रत रखा। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा-उपासना की। इस व्रत के पुण्य प्रताप से हेम को स्वर्ग की प्राप्ति हुई।
योगिनी एकादशी 2025 उपाय करे :-
यदि आप करियर में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें केला, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। साथ ही विष्णु चालीसा का पाठ करें। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को मनचाहा करियर प्राप्त होता है।
इसके अलावा योगिनी एकादशी के दिन संध्याकाल में घर में दीपक जलाएं। इस उपाय को करने से साधक को धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
शुभ फल की प्राप्ति के लिए योगिनी एकादशी पर पूजा करने के बाद गरीब लोगों में अन्न, धन और वस्त्र का दान करना चाहिए।
आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए योगिनी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित कर तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और जल दें। साथ ही तुलसी मंत्र का जप करें। इस कार्य को करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन लाभ के योग बनते हैं।
योगिनी एकादशी 2025 व्रत के नियम :-
योगिनी एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
एकादशी का व्रत नहीं रखने वालों को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस दिन बाल, नाखून, और दाढ़ी कटवाने की भूल न करें।
योगिनी एकादशी के दिन ब्राह्मणों को कुछ दान अवश्य करना चाहिए।
एकादशी व्रत के पारण करने के बाद अन्न का दान करना शुभ माना गया है।
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
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