यमुना छठ 2025 :-
साल 2025 में छठ पूजा 25 अक्टूबर से शुरू होगी। इस दिन नहाय-खाय मनाया जाएगा। छठ पूजा चार दिनों तक चलती है। यमुना छठ को यमुना जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार मां यमुना के जन्मदिन को मनाया जाता है। इस दिन भक्त यमुना नदी में स्नान करते हैं और मां यमुना को भोजन चढ़ाते हैं। यमुना छठ के पर्व को प्रमुख रूप से मथुरा-वृंदावन में मनाया जाता है। यह त्यौहार देवी यमुना के धरती पर अवतरित होने का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस दिन को यमुना जयंती या देवी यमुना छठ के रूप में भी मनाया जाता है।
यमुना छठ 2025 तारीख और समय :-
यमुना छठ बृहस्पतिवार, अप्रैल 3, 2025 को षष्ठी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 02, 2025 को 11:49 पी एम बजे
षष्ठी तिथि समाप्त – अप्रैल 03, 2025 को 09:41 पी एम बजे
यमुना छठ वर्त महत्व
इस दिन व्रत रखा जाता है और यमुना में स्नान किया जाता है। इस दिन यमुना में स्नान करने से रोग मुक्ति होती है। संध्या के समय भी पूजन करके यमुना अष्टक का पाठ किया जाता है। इसके बाद यमुना जी को भोग लगा कर, दान पुण्य आदि करके व्रत का पारण होता है। मान्यता है कि कृष्ण अंतिम समय में गुजरात में थे इसीलिए यहां भी यह पर्व धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन गुजराती समुदाय के लोग यमुना जी पर डुबकी लगाने मथुरा आते हैं और कलश में यमुना जी का जल अपने साथ ले जाते हैं। जिसे अपने घर और गांव में वैदिक मंत्रों द्वारा खोल कर प्रसाद स्वरूप ग्रहण व वितरित करते हैं।
यमुना छठ से जुड़ी पौराणिक कथा
यमुना छठ से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार सूर्य की पत्नी छाया की पुत्री यमुना तथा पुत्र यम थे। वे दोनों ही श्याम वर्ण के थे। यम अपनी बहन यमुना से बहुत स्नेह करते थे। इसलिए यमराज ने बहन यमुना को यह आर्शीवाद दिया कि यमुना नदी में स्नान करने से कोई भी व्यक्ति यमलोक नहीं जाएगा। तभी से यमुना में स्नान करना पवित्र माना जाता है। साथ ही यह मान्यता भी प्रचलित है कि जब श्रीकृष्ण ने लक्ष्मी जी को राधा का रूप लेकर आने के लिए तो वह यमुना जी को भी अपने साथ ले आयीं। इसलिए द्वापर युग में यमुना धरती पर नदी के रूप में अवतरित हुईं। इसलिए ब्रज में यमुना को मां के रूप में माना जाता है तथा यमुना छठ पर विशेष पूजा-पाठ करने के लिए भक्त एकत्रित होते हैं। यमुना छठ की पूजा में यमुना में डुबकी लगाकर व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। संध्या में यमुना अष्टक का पाठ किया जाता है. इसके बाद मां की आरती और कथा का पाठ किया जाता है और भोग लगाया जाता है।
यमुना छठ की पूजा की विधि:-
अगर संभव हो, तो सुबह यमुना में डुबकी लगाकर व्रत का संकल्प लें। भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा करें. संध्या में यमुना अष्टक का पाठ करें. मां की आरती और कथा का पाठ करें और भोग लगाएं। अपने सामर्थ्य के मुताबिक दान-पुण्य करें या ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं।
छठ व्रत के दौरान इन बातों का ध्यान रखें:
छठ के किसी भी बर्तन या पूजन सामग्री को झूठे हाथ से स्पर्श नहीं करना चाहिए । इस पूजा में चढ़ाए जाने वाले फल या फूल टूटे या पशु-पक्षियों ने खाए हुए नहीं होने चाहिए। इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए. छठ पूजा के दौरान पूर्व में इस्तेमाल में लाया गया बर्तन दोबारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
यमुना छठ 2025 उपाय :-
जल्दी उठकर संभव हो तो यमुना में डुबकी लगाकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। मां यमुना और श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए. संध्या की पूजा करते समय यमुना अष्टक का पाठ करना चाहिए। मां यमुना की आरती और कथा का पाठ करना चाहिए भोग लगाना चाहिए। अपने सामर्थ्यनुसार दान-पुण्य करना चाहिए. यमुना छठ के दिन अथवा किसी भी शनिवार के दिन इन मंत्रों से यमुना का पूजन और आरती करनी चाहिए।
ऊं नमो भगवत्यै कलिन्दनन्दिन्यै सूर्यकन्यकायै यमभगिन्यै श्रीकृष्णप्रियायै यूथीभूतायै स्वाहा
ऊँ हीं श्रीं, क्लीं कालिन्द्यै देव्यै नम:
इस दिन भक्त यमुना नदी में स्नान करते हैं और फिर मां यमुना को विविध प्रकार के व्यंजन चढ़ाते हैं। इस दिन यमुना मैया से अपने अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए कामना की जाती है।