वृषभ संक्रांति 2025 :- धार्मिक मान्यता के अनुसार वृषभ संक्रांति को मकर संक्रांति के समान माना गया है। इस दिन पूजा-पाठ, जप, तप और दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस साल वृषभ संक्रांति 15 मई शुक्रवार के दिन है। संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में नहाने से तीर्थस्थलों के समान पुण्यफल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं वृषभ संक्रांति की पूजा विधि और महत्व के बारे में।
वृषभ संक्रांति 2025 कब हैं?
वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 मई को वृषभ संक्रांति मनाई जाएगी। 15 मई को पुण्य काल सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 46 मिनट तक है। ज्योतिषियों की मानें तो वृषभ राशि के दौरान विवाह करना शुभ होता है।
वृषभ संक्रांति 2025 शुभ योग :-
वृषभ संक्रांति पर शिव योग का संयोग बन रहा है। शिव योग सुबह 07 बजकर 02 मिनट तक है। इसके बाद सिद्ध योग का संयोग बनेगा। सिद्ध योग का संयोग रात भर है। इसके साथ ही भद्रावास योग का संयोग बनेगा। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 50 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक है। इस समय में पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने से साधक पर सूर्य देव की कृपा बरसेगी।
वृषभ संक्रांति 2025 का महत्व:-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संक्रांति तिथि के दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही इस विशेष दिन पर सूर्य देव की उपासना का भी विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र स्नान और सूर्य देव को जल प्रदान करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है और धन-ऐश्वर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वृषभ संक्रांति के दिन गौदान को भी बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खुल जाता है।
वृषभ संक्रांति 2025 ऐसे करें सूर्य देव की पूजा:-
वृषभ संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
फिर तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन और लाल फूल डाल लें। सूर्य देव को स्मरण करते हुए उस जल से अर्घ्य दें।
इस दौरान सूर्य मंत्र का जाप करें। फिर सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
अंत में घी के दीपक या कपूर से सूर्य देव की आरती करें।
इस प्रकार से पूजा पाठ करके सूर्य देव से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
वृषभ संक्रांति 2025 उपाय:-
सूर्य देव की पूजा: वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करें। उन्हें जल अर्पित करें और “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
दान-पुण्य: वृषभ संक्रांति के दिन आप स्नान और दान महा-पुण्यकाल में कर सकते हैं। इसके लिए यह समय सबसे अच्छा माना जाता है। वृषभ संक्रांति वाले दिन स्नान करने के बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान कर सकते हैं। वृषभ संक्रांति पर आप गेहूं, लाल वस्त्र, लाल फूल, गुड़, घी, तांबे के बर्तन आदि का दान कर सकते हैं।
हल्दी का स्नान: वृषभ राशि के जातकों को इस दिन हल्दी के चूर्ण से स्नान करना चाहिए। इससे सूर्य देव मजबूत होते हैं और जीवन में सकारात्मकता आती है।
तुलसी का पौधा: वृषभ राशि के जातकों को अपने घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। यह पौधा सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।
मंत्र जाप: वृषभ राशि के जातकों को “ॐ रुद्रनाथ नमः” और “ॐ अनलायै नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।
शिव की पूजा: भगवान शिव की पूजा करने से भी जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
उपहार: वृषभ राशि के जातकों को किसी प्रिय व्यक्ति को उपहार देना चाहिए।
उपायों को करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं और सूर्य देव की कृपा प्राप्त हो सकती है।
वृषभ संक्रांति 2025 पर ना करे :-
वृषभ संक्रांति के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
सकारात्मक सोच और सकारात्मक दृष्टिकोण रखें।
सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से पूजा पाठ करें।
वृषभ संक्रांति 2025 का प्रभाव:-
ज्योतिषियों के अनुसार, वृषभ संक्रांति के दौरान विवाह करना शुभ होता है।
इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से साधक को शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
सूर्य का गोचर: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश का सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, कुछ राशियों के लिए यह समय शुभ और कुछ के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
विभिन्न राशियों पर प्रभाव:
वृषभ राशि: आर्थिक स्थिति में सुधार, बचत के अवसर, परिवार के साथ समय बिताने से रिश्तों में मिठास, और पुराने विवाद खत्म हो सकते हैं।
अन्य राशियाँ: मकर संक्रांति के दौरान कुछ राशियों को भाग्य का साथ मिलने और नौकरी में तरक्की के योग बनते हैं।
धन और स्वास्थ्य: गोचर से दशम भाव में सूर्य के आने पर धन, स्वास्थ्य, मित्र आदि का सुख प्राप्त होता है।
यात्रा: गोचर से सातवें स्थान में सूर्य के आने से दांपत्य जीवन में वैमनस्य की उत्पत्ति होती है और कष्टकारी यात्राएं करनी पड़ती हैं।
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