वरलक्ष्मी व्रत 2025 :-
सावन के आखिरी शुक्रवार को रखा जाने वाला वरलक्ष्मी व्रत बहुत विशेष माना जाता है। वरलक्ष्मी अर्थात वर देने वाली लक्ष्मी। मान्यता है कि जो लोग वरलक्ष्मी व्रत रखकर धन की देवी की पूजा करते हैं उन्हें सालभर धन की कमी नहीं होती। हिन्दू धर्म की सभी विवाहित महिलाएं इस दिन वरलक्ष्मी व्रत करती है और मां वरलक्ष्मी की पूजा की जाती है। वरलक्ष्मी में वर का अर्थ वरदान देने वाली से है। इस बार वरलक्ष्मी व्रत 08 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। मान्यता है कि यह व्रत श्रावण मास के अंतिम शुक्रवार को किया जाता है। इस व्रत को करने से भक्तों की दरिद्रता दूर होती है और उन पर माता रानी की कृपा होती है। इस वरलक्ष्मी के व्रत को अधिकतर दक्षिणी भारत के लोग मानते है। इस दिन विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती हैं। आइए जानते हैं सावन में वरलक्ष्मी व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व।
वर लक्ष्मी व्रत 2025 कब है :-
यह व्रत श्रावण मास के अंतिम शुक्रवार को मनाया जाता है और इस वर्ष यह 08 अगस्त 2025 दिन शुक्रवार को है। इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
वरलक्ष्मी व्रत 2025 का महत्व :-
वरलक्ष्मी व्रत मां लक्ष्मी को समर्पित व्रत है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं। हालांकि, वरलक्ष्मी व्रत के उत्सव के रूप में पारंपरिक रूप से कुछ अनुष्ठान किए जाते हैं, लेकिन मुख्य रूप से इस पर्व की आध्यात्मिकता पर ध्यान देना चाहिए। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी उर्वरता, उदारता, प्रकाश, ज्ञान, धन और भाग्य की संरक्षक देवी हैं। महिलाएं देवी से स्वस्थ संतान और अपने पति के लिए लंबी आयु का आशीर्वाद मांगती हैं। महिलाएं वरलक्ष्मी व्रत मनाती हैं, जो मुख्य रूप से महिलाओं का उत्सव है। मान्यता है कि शुक्रवार मां लक्ष्मी को समर्पित है लेकिन सावन में आने वाला आखिरी शुक्रवार देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन देवी वरलक्ष्मी की पूजा करने से करने से अचल संपत्ति प्राप्त होती है।
वरलक्ष्मी पूजा 2025 सामग्री :-
मां वरलक्ष्मी की पूजा करने से पहले नारियल, चंदन, हल्दी, कुमकुम, कलश, लाल वस्त्र, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा, दीप, धूपस माला, हल्दी, मौली, दर्पण, कंघा, आम के पत्ते, पान के पत्ते, दही, केले, पंचामृत, कपूर दूध और जल एकत्रित कर लें।
वरलक्ष्मी व्रत 2025 पूजा विधि :-
सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया से निवृत होकर स्नान करें। अब पूजा स्थल को शुद्ध करने के लिए स्थान पर गंगाजल छिड़कें। अब मां वरलक्ष्मी का शयन करते हुए व्रत रखने का संकल्प लें। इसके बाद लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का साफ वस्त्र बिछाकर मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। तस्वीर के बगल में थोड़े से चावल रखें और उसके ऊपर एक कलश में जल भर दें। इसके बाद पूजन करते समय श्री गणेश को पुष्प, दूर्वा, नारियल, चंदन, हल्दी, कुमकुम, माला अर्पित करें। मां वरलक्ष्मी को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। अब मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद धूप और घी का दीपक जलाकर मंत्र पढ़ लें। पूजा के बाद वरलक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करें। अंत में आरती करके सभी के बीच प्रसाद का वितरण कर दें।
वरलक्ष्मी व्रत 2025 उपाय :-
माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सावन महीने के आखिरी शुक्रवार को गुड़, तिल, चावल, खीर, केसर, हल्दी, नमक और जरुरतमंद लोगों को कपड़ों का दान करना चाहिए। इसके साथ ही गाय का पूजन करें और चारा खिलाएं।
वरलक्ष्मी के शुभ दिन पर व्रत रखना चाहिए। इस उपवास को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करें। इसके बाद श्रीयंत्र की शुभ मुहूर्त में स्थापना करें। फिर रात के समय घी का दीया जलाकर ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नम: मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।
वरलक्ष्मी के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान उनके चरणों में 11 पीली कौड़ियां अर्पित करें। इसके बाद इसे किसी लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रख दें। इससे धन लाभ के योग बनते हैं।
इस दौरान लक्ष्मी की विधि अनुसार पूजा करें। इसके बाद मां लक्ष्मी को नारियल अर्पित करें। इससे धन लाभ के योग बनते हैं। इस दिन लक्ष्मी जी के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद उन्हें गुड़ से बनी खीर का भोग भी लगाएं। ऐसा करने से घर में देवी की कृपा बनी रहती है।
वरलक्ष्मी व्रत कथा 2025 :-
पौराणिक कथा के अनुसार, मगध के राज्य में कुंडी नाम का एक नगर था। कुंडी नगर रावण की सोने की लंका की ही तरह सोने से बना हुआ था। इसी नगर में चारूमति नाम की ब्राह्मण महिला रहती थी। वह हर रोज मां लक्ष्मी की पूजा करती थी और पूरे लगन से अपने पति व सास-ससुर की सेवा भी करती थी. एक रात जब चारूमति सो रही थी, तो उसके सपने में मां लक्ष्मी आईं। उन्होंने चारूमति से कहा कि मैं वरलक्ष्मी हूं। जिस तरह से तुम मेरी पूजा करती हो, मैं उससे बहुत प्रसन्न हूं। अगर तुम सावन के महिने के अंतिम शुक्रवार को मेरा व्रत रखकर मेरी पूजा करो, तो मेरे आशिर्वाद से तुम्हें सुख-समृद्धि मिलेगी और संतान की भी प्राप्ति होगी। इसके अलावा, अगर तुम यह व्रत अन्य लोगों से भी करवाओगी, तो उन्हें भी इसका शुभ फल मिलेगा। जब सुबह होने पर चारूमति ने सपने वाली बात अपने पति और सास-ससुर को बताई। उन लोगों ने सलाह देते हुए कहा कि सपने की बातें सच होती हैं। इसलिए उसे सपने के अनुसार सावन माह के आखिरी शुक्रवार को मां वरलक्ष्मी का व्रत करना चाहिए। साथ ही उन्होंने नगर की अन्य महिलाओं से भी यह व्रत कराने की सलाह दी। इसके बाद सावन का महीने आने पर आखिरी शुक्रवार को चारूमति के साथ नगर की अन्य महिलाओं ने भी मां वरलक्ष्मी का व्रत रखा और उनका पूजन पाठ किया। उस शुक्रवार के दिन चारूमति के साथ सभी महिलाओं ने सुबह उठकर स्नान किया। साफ कपड़े पहनें और मंडप सजाकर उसमें भगवान गणेश व मां लक्ष्मी की वरमुद्रा में मूर्ति रखी और कलश स्थापित करके पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा के आखिरी में सभी महिलाएं जब उस मंडप की परिक्रिमा करने लगीं, तो अचानक सभी महिलाओं का शरीर गहनों से सज गया। इस तरह यह पूजन करके सभी महिलाओं को धन-संपत्ति मिली. इसके आलवा, उनका घर भी पशुधन, जैसे- गाय, घोड़े, हाथी आदि से भर गया। मां वरलक्ष्मी की कृपा से उनका नगर सोने का बन गया। तभी से नगर के सभी लोग चारूमती की प्रशंसा करने लगें और मां श्री वरलक्ष्मी की हर सावन माह के आखिरी शुक्रवार को पूजन करने लगे।
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