सीता नवमी 2025 :- सीता नवमी कब हैं, जानिए तारीख और समय किया है माता सीता की जन्म कथा

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सीता नवमी 2025 :-

सीता नवमी पर विशेष रूप से माता सीता की उपासना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। साथ ही जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। मान्यता है इस दिन मां सीता की विधि विधान से पूजा करने पर आर्थिक तंगी दूर होती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है आज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। आज सीता नवमी मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता इसी दिन धरती से प्रकट हुई थीं। इसीलिए इस दिन को सीता जयंती या सीता नवमी के रूप में मनाते हैं। इसको जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। सीता नवमी पर विशेष रूप से माता सीता की उपासना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। साथ ही जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। मान्यता है इस दिन मां सीता की विधि विधान से पूजा करने पर आर्थिक तंगी दूर होती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं सीता नवमी की तिथि, मुहूर्त , महत्व और कथा।

सीता नवमी 2025 की तारीख और समय :-

सीता नवमी राम नवमी के एक महीने बाद आती है। यह हिंदू पंचांग के वैशाख महीने में कृष्ण पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इसे सीता जयंती के रूप में भी जाना जाता है। जाहिर है, सीता नवमी सोमवार, 5 मई, 2025 को पड़ेगी। इसके अतिरिक्त, मध्यान (मध्याह्न) मुहूर्त सुबह 10:55 बजे से दोपहर 01:35 बजे तक रहेगा (अवधि – 02 घंटे 39 मिनट)।

सीता नवमी का महत्व :-

सीता नवमी का दिन राम नवमी की तरह ही शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो राम-सीता का विधि विधान से पूजन करता है, उसे 16 महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है। वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए सीता नवमी का श्रेष्ठ माना गया है। सीता नवमी के दिन माता सीता को श्रृंगार की सभी सामग्री अर्पित की जाती हैं। साथ ही इस दिन सुहागिनें व्रत रखकर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।

सीता अष्टमी व्रत और पूजा विधि :-

सीता अष्टमी के दिन एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर अक्षतों का अष्टदल कमल बनाऐं और उस पर मां लक्ष्मी तथा जानकी की मूर्ति स्थापित करके गंध, पुष्पादि से पूजन करें। फिर प्रदोषकाल के समय सामर्थ्य अनुसार जितने हो सकें, दीपक जलाऐं और ब्राह्मणों को भोजन कराऐं, तत्पश्चात स्वयं भोजन करें तथा दूसरे दिन पूजन-सामग्री आदि किसी ब्राह्मण को दान दें। सीता जी की कृपा पाने का मंत्र, इस मंत्र के प्रयोग से देवी सीता को प्रसन्न किया जाता है और उनकी कृपा से भक्त भगवान श्रीराम से कार्य सिद्ध करा लेते हैं क्योंकि जब हम श्रीराम कहते हैं तो इसमें श्री शब्द सीता जी के लिए आता है। जिस प्रकार पार्वती शिव की शक्ति हैं, उसी प्रकार सीता प्रभु राम की शोभा और शक्ति हैं।

माता सीता के जन्म की कथा :-

वाल्मिकी रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा था जिस वजह से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे।  इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और  खुद धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। राजा जनक ने अपनी प्रजा के लिए यज्ञ करवाया और फिर धरती पर हल चलाने लगे। तभी उनका हल धरती के अंदर किसी वस्तु से टकराया। मिट्टी हटाने पर उन्हें वहां सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी एक सुंदर कन्या मिली। जैसे ही राजा जनक सीता जी को अपने हाथ से उठाया, वैसे ही तेज बारिश शुरू हो गई। राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रखा और उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया।

सीता नवमी 2025 के दिन करें उपाय :-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन ही धरती पर मां सीता प्रकट हुई थी। कहते हैं इस दिन जो कोई भी व्रत करता है, उसे सोलह महादानों और सभी तीर्थों के दर्शन का फल मिलता है। जानकी जयंती के दिन माता सीता और श्री राम के मंत्र का 11 बार जप करना चाहिए। इस दिन, माता सीता और भगवान राम की पूजा करें, व्रत रखें, और सुखी दांपत्य जीवन के लिए प्रार्थना करें।

जानकी जयंती के अवसर पर करें इन चौपाइयों का पाठ

 

राम भगति मनि उर बस जाकें। दु:ख लवलेस न सपनेहुँ ताकें॥

चतुर सिरोमनि तेइ जग माहीं। जे मनि लागि सुजतन कराहीं॥

 

अगुण सगुण गुण मंदिर सुंदर, भ्रम तम प्रबल प्रताप दिवाकर ।

काम क्रोध मद गज पंचानन, बसहु निरंतर जन मन कानन।।

 

कहु तात अस मोर प्रनामा। सब प्रकार प्रभु पूरनकामा ॥

दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी॥

 

जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई।

जिनके कपट, दंभ नहीं माया, तिनके हृदय बसहु रघुराया।

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