मिथुन संक्रांति 2025 कब है? मिथुन संक्रांति का क्या है महत्व, जानिए कथा

Mithun sankranti 2025

मिथुन संक्रांति 2025 :-

सौर वर्ष के अनुसार सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने की क्रिया को संक्रांति कहा जाता है। सूर्य देव जिस राशि में प्रवेश करते हैं उसे उसी राशि की संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। सौर वर्ष के माह को भी सूर्य के राशि परिवर्तन के अनुसार ही निर्धारित किया जाता है। जब सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं तब मिथुन संक्रांति  का पर्व मनाया जाता है।

मिथुन संक्रांति 2025 कब है ?

2025 में मिथुन संक्रांति 15 जून, 2025 को होगी।

मिथुन संक्रांति 2025 का महत्व :-

सूर्य देव के मिथुन संक्रांति में प्रवेश करने पर सौरमंडल में बहुत सारे बदलाव आते हैं। मिथुन संक्रांति के दिन से ही वर्षा ऋतु का प्रारंभ हो जाता है। मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं। जिसके कारण सभी राशियों के नक्षत्रों की दिशा में बदलाव आता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन दान पुण्य और पूजा अर्चना का खास महत्व है। हमारे देश में अलग-अलग जगहों पर मिथुन संक्रांति को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। साथ ही अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में मिथुन संक्रांति को संक्रमानम पर्व के रूप में मनाया जाता है। पूर्व में इसे आषाढ़, केरल में इससे मिथुनम ओंठ और उड़ीसा में इसे राजा पर्व के रूप में मनाया जाता है। उड़ीसा राज्य में मिथुन संक्रांति का पर्व 4 दिनों तक बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। सभी लोग इस दिन पहली बारिश का स्वागत करते हैं। मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव हर राशि में 1 महीने तक विराजमान रहते हैं। अगर मिथुन संक्रांति के दान, दक्षिणा और पूजा पाठ की जाए तो वह बहुत ही शुभकारी मानी जाती है। इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है।

मिथुन संक्रांति 2025 क्या है ?

मिथुन संक्रांति को मौसम की दृष्टि से भी बहुत खास माना जाता है। इस दिन के बाद से सौर मंडल में भी काफी बड़ा बदलाव आता है। इसके बाद से वर्षा ऋतु का आरंभ माना जाता है। इस दिन सूर्य वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।

मिथुन संक्रांति 2025 से जुडी विशेष बातें :-

हमारे शास्त्रों में मिथुन संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इसके अलावा मिथुन संक्रांति के दिन सूर्यदेव के साथ साथ भगवान् विष्णु और धरती मां की पूजा का भी नियम है।  मिथुन संक्रांति के दिन गरीब और जरूरतमंदों लोगों को वस्त्रों का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे की पूजा भूदेवी के रूप में की जाती है। मिथुन संक्रांति के पर्व पर घर के पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। मिथुन संक्रांति के दिन किसी भी प्रकार का कृषि कार्य नहीं किया जाता है। शास्त्रों में मिथुन संक्रांति के दिन चावल का सेवन निषेध बताया गया है।

मिथुन संक्रांति 2025 पूजन विधि :-

इस तरह करें सूर्य की पूजा

मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने के लिए सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करने के पश्चात् एक तांबे के लोटे में स्वच्छ जल लें। अब इस जल में लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ मिला लें। अब इस जल से श्रद्धा पूर्वक सूर्य देव को अर्ध्य दें। सूर्यदेव को जल अर्पित करते समय ‘ऊं सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करें।

मिथुन संक्रांति 2025 पर उपाय करें:-

मिथुन राशि के लिए, मकर संक्रांति 2025 पर सूर्य नारायण को काले तिल के लड्डू अर्पित करने और दान-पुण्य करने से लाभ हो सकता है। यह दिन सूर्य की उपासना के लिए भी शुभ माना जाता है, जिससे सुख-समृद्धि और धन-संपत्ति का आगमन होता है।

तांबे के लोटे में जल, गुड़, लाल पुष्प और चावल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।

तिल, गुड़, कंबल, अन्न और वस्त्र का दान करें, खासकर गरीबों और जरूरतमंदों को।

सुबह गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।

मुख्य द्वार पर हल्दी की 5 गांठ कलावे में लपेटकर बांधें।

घर में सुख-समृद्धि के लिए खिचड़ी का भोग लगाएं।

मिथुन संक्रांति 2025 कथा :-

मान्यताओं के अनुसार महिलाओं को जिस प्रकार मासिक धर्म होता है, उसी प्रकार धरती माता को शुरुआती 3 दिनों तक मासिक धर्म हुआ था। जिसे धरती के विकास के प्रतीक के रूप में माना जाता है। 3 दिनों तक लगातार धरती माता मासिक धर्म में रहती हैं। 3 दिनों के पश्चात चौथे दिन में सिलबट्टे जिसे भूदेवी का प्रतीक माना जाता है, उसे स्नान करके शुद्ध कराया जाता है। इस दिन धरती माता के साथ-साथ सूर्य देव की भी पूजा की जाती है।

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