कृष्ण जन्माष्टमी 2025:- कब हैं कृष्ण जन्माष्टमी 2025 मैं जानिए सही मुहूर्त और समय

Krishna Janmashtami 2025

कृष्ण जन्माष्टमी 2025:-

भगवान विष्णु ने धरती पर पाप और अधर्म का नाश करने के लिए हर युग में अवतार लिया। विष्णु जी के एक अवतार भगवान श्रीकृष्ण हैं, जिनका जन्म मथुरा की राजकुमारी देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। राजा कंश की जेल में जन्में कान्हा का बचपन गोकुल में माता यशोदा और नंद बाबा की गोद में बीता। राजा कंस से बचाने के लिए वासुदेव ने कान्हा के जन्म के बाद ही अपने चचेरे भाई नंदबाबा और यशोदा को दे दिया था। श्रीकृष्ण ने अपने जन्म से लेकर जीवन के हर पड़ाव पर चमत्कार दिखाए। श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े कई किस्से हैं, जो मानव समाज को सीख देते हैं। अधर्म और पाप के खिलाफ सही मार्गदर्शन करते हैं। उनके जन्मदिवस को उत्सव की तरह हर साल भक्त मनाते हैं। इस मौके पर जानिए कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास और महत्व।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 कब है ?

कृष्ण जन्माष्टमी शुक्रवार, अगस्त 15, 2025 को

निशिता पूजा का समय – 12:01 ए एम से 12:48 ए एम, अगस्त 16

अवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्स

दही हाण्डी शनिवार, अगस्त 16, 2025 को

धर्म शास्त्र के अनुसार पारण समय

पारण समय – 09:34 पी एम, अगस्त 16 के बाद

पारण के दिन अष्टमी तिथि का समाप्ति समय – 09:34 पी एम

रोहिणी नक्षत्र के बिना जन्माष्टमी

धर्म शास्त्र के अनुसार वैकल्पिक पारण समय

पारण समय – 06:13 ए एम, अगस्त 16 के बाद

देव पूजा, विसर्जन आदि के बाद अगले दिन सूर्योदय पर पारण किया जा सकता है।

वर्तमान में समाज में प्रचलित पारण समय

पारण समय – 12:48 ए एम, अगस्त 16 के बाद

भारत में कई स्थानों पर, पारण निशिता यानी हिन्दु मध्यरात्रि के बाद किया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 का महत्व :-

पुराणों के मुताबिक, श्रीकृष्ण त्रिदेवों में से एक भगवान विष्णु के अवतार हैं। कृष्ण के आशीर्वाद और कृपा को पाने के लिए हर साल लोग इस दिन व्रत रखते हैं, मध्य रात्रि में विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। भजन कीर्तन करते हैं और जन्मोत्सव मनाते हैं। इस दिन के लिए मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया जाता है। कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी पर दही-हांडी का भी उत्सव होता है।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पूजा सामग्री :-

कान्हा जी की पूजा करने के लिए आप शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न, छोटी इलायची, लौंग मौली और इत्र की शीशी लें। इसके अलावा धूपबत्ती, अगरबत्ती, कपूर, गंगाजल, शहद, शक्कर, तुलसी दल, केसर, चंदन और पंच मेवा भी रखें।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पूजन विधि :-

कृष्ण जन्माष्टमी पर सुबह ही स्नान कर लें। फिर साफ वस्त्रों को पहनें। इसके बाद पूजा के स्थान पर चौकी लगाएं। उसपर लड्डू गोपाल को स्थापित करें। सबसे पहले उन्हें चंदन लगाएं। अब फूल माला अर्पित करें। अब पूजा करें।

इसके बाद रात में 12 बजे के बाद कृष्ण जन्मोत्सव के बाद कान्हा जी का पंचामृत से अभिषेक करें। फिर उन्हें नए वस्त्र पहनाएं। उनका पूरा श्रृंगार करें। माखन मिश्री का भोग भी लगाएं। विधि अनुसार पूजा करते हुए सुख-समृद्धि की कामना करें।

कैसे मनाते हैं कृष्ण जन्माष्टमी? :-

जन्माष्टमी पर भक्त श्रद्धानुसार उपवास रखते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती हैं। बाल गोपाल की जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी की तिथि की मध्यरात्रि को घर में मौजूद लड्डू गोपाल की प्रतिमा का जन्म कराया जाता है। फिर उन्हें स्नान कराकर सुंदर वस्त्र धारण कराए जाते हैं। फूल अर्पित कर धूप-दीप से वंदन किया जाता है। कान्हा को भोग अर्पित किया जाता है। उन्हें दूध-दही, मक्खन विशेष पसंद हैं। इसलिए भगवान को भोग लगाकर सबको प्रसाद वितरित किया जाता है।

क्यों और कैसे मनाते हैं दही हांडी? :-

कुछ जगहों पर जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का आयोजन होता है। गुजरात और महाराष्ट्र में दही हांडी का विशेष महत्व है। दही हांडी का इतिहास बहुत दिलचस्प है। बालपन में कान्हा बहुत नटखट थे। वह पूरे गांव में अपनी शरारतों के लिए प्रसिद्ध थे। कन्हैया को माखन, दही और दूध बहुत प्रिय था। उन्हें माखन इतना प्रिय था कि वह अपने सखा संग मिलकर गांव के लोगों के घर का माखन चोरी करके खा जाते थे।

कान्हा से माखन बचाने के लिए महिलाएं माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटका दिया करती, लेकिन बाल गोपाल अपने मित्रों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाकर उसके जरिए ऊंचाई पर लटकी मटकी से माखन चोरी कर लेते।

कृष्ण के इन्ही शरारतों को याद करने के लिए जन्माष्टमी में माखन की मटकी को ऊंचाई पर टांग दिया जाता है। लड़के नाचते गाते पिरामिड बनाते हुए मटकी तक पहुंचकर उसे फोड़ देते हैं। इसे दही हांडी कहते हैं, जो लड़का ऊपर तक जाता है, उसे गोविंदा कहा जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पर करें उपाय :-

जन्माष्टमी की पूजा में आप भगवान श्री कृष्ण को पान का पत्ता भी अर्पित कर सकते हैं। पूजा के बाद यानी अगले दिन उस पत्ते पर रोली से श्रीयंत्र लिखें और इसे अपने धन के स्थान या फिर तिजोरी में रख दें। इस उपाय से आपको आर्थिक तंगी से मुक्ति मिल सकती है। इसी के साथ आप भगवान श्री कृष्ण को जन्माष्टमी के अवसर पर चांदी से बनी बांसुरी भी अर्पित कर सकते हैं। बांसुरी अर्पित करते समय इस मंत्र का 108 बार जाप करें

जन्माष्टमी की पूजा रात्रि में करने का विधान है, क्योंकि यह माना जाता है कि रात में ही कृष्ण जी का जन्म हुआ था। ऐसे में आप जन्माष्टमी की पूजा के दौरान लड्डू गोपाल जी को माखन मिश्री का भोग लगा सकते हैं, जो उन्हें बहुत प्रिय मानी गई है। इसके साथ ही मखाने की खीर का भोग भी आप लड्डू गोपाल को लगा सकते हैं। लड्डू गोपाल के भोग में तुलसी डालना न भूलें। ऐसा करने से आपको कान्हा जी का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है, जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।

जन्माष्टमी पर शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण का शंख से अभिषेक करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके लिए शंख में पंचामृत (घी, दूध, दही, शक्कर, शहद) लेकर श्रीकृष्ण जी का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से कान्हा जी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक संपन्नता बनी रहती है।

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