गोमेद रत्न कब धारण करें? गोमेद रत्न किसे धारण करना चाहिए? गोमेद रत्न क्यों धारण करना चाहिए?
रत्न ज्योतिष के अनुसार, 84 प्रकार के रत्नों में से 9 मुख्य रत्न माने जाते हैं, जिनका संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। यही कारण है कि 9 रत्नों का हमारे जीवन पर विशेष प्रभाव रहता है। रत्नों को धारण करने से कुंडली में स्थित ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम किया जाता है। इससे जीवन में सुख- समृद्धि बनी रहती है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी रत्न को धारण करने से पहले ज्योतिष की सलाह अवश्य लें।
ज्योतिष आपको जन्मराशि, जन्मतिथि और कुंडली के अनुसार रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। नवरत्नों में मोती, पन्ना, मूंगा, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद, वैदूर्य शामिल हैं। यहां हम जानेंगे गोमेद रत्न के बारे में। जानते हैं कि गोमेद रत्न धारण करने के क्या फायदे हैं और इसे पहनते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
गोमेद रत्न
वैदिक ज्योतिष के अनुसार रत्नों को ग्रहों का अंश माना जाता है। जेमस्टोन एस्ट्रोलॉजी में गोमेद रत्न का विशेष महत्व है। गोमेद को राहु ग्रह का रत्न माना जाता है। गोमेद रत्न धारण करने से राहु मजबूत होता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु की दशा कमजोर है, तो इसका दुष्प्रभाव कम करने के लिए गोमेद रत्न धारण करना चहिए।
खूबसूरत रत्न है गोमेद
गोमेद को ज्योतिष में बेहद खूबसूरत रत्न माना गया है। यह चमकदार और अपारदर्शी रत्न होत है। जोकि भूरे या लांल रंग का होता है। इसे हिंदी में गोमेद और अंग्रेजी में हैसोनाइट स्टोन के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जब भी गोमेद रत्न धारण करें तो छह रत्ती से कम का गोमेद धारण नहीं करना चाहिए
किस राशि के लोगों को गोमेद रत्न धारण करना चाहिए
जिन जातकों की कुंडली में राहु उच्च स्थान पर बैठा है। उन लोगों के लिए गोमेद पहनना सोने पे सुहागा के समान है। गोमेद पहनने से उन्हें धन लाभ मिलेगा और बिगड़े हुए काम बनने लगेंगे। ज्योतिष के अनुसार, जिनकी जन्मपत्री में राहु पहले, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में हैं वह लोग गोमेद रत्न को धारण कर सकते हैं। इससे उनकी कुंडली में राहु की स्थिति भी मजबूत होगी। अगर जन्मपत्री में राहु की स्थिति द्वितीय के अलावा एकादश भाव में हैं तो वह लोग गोमेद रत्न पहन सकते हैं। अगर आपकी कुंडली में राहु उच्च स्थान में विराजमान हैं तो आपके लिए गोमेद भाग्यशाली साबित होगा। वृष, मिथुन, कन्या, तुला और कुंभ राशि के जातक गोमेद धारण कर सकते हैं। इससे उन्हें लाभ मिलेगा। अगर कुंडली में राहु नीच स्थान में है जिसके कारण बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं तो वह ज्योतिष की सलाह से गोमेद रत्न धारण कर सकते हैं। इससे राहु की स्थिति भी सही हो जाएगी। राजनीति में करियर बनाने वाले लोग भी गोमेद धारण कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, वकालत में अपना करियर बनाने वाले लोग भी गोमेद रत्न को धारण कर सकते हैं।
गोमेद रत्न के फायदे
गोमेद रत्न हल्के व गहरे भूरे या लाल रंग का होता है। इसका रंग शहद की तरह भी हो होता है। गोमेद को राहु का रत्न कहा जाता है। गोमेद रत्न धारण करने से कुंडली में अशुभ स्थान पर बैठे राहु का प्रकोप शांत होता है। इससे जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म होता है। गोमेद रत्न धारण करने से न सिर्फ मन की शांति मिलती है, बल्कि जीवन में आ रहे सभी संकट भी दूर होते हैं।
राहु के प्रकोप को कम करता है गोमेद
गोमेद रत्न धारण करने से कुंडली में राहु दोष के साथ ही कालसर्प दोष भी दूर होता है. ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष उत्पन्न होता है तो उसे गोमेद रत्न धारण करना चाहिए। गोमेद रत्न के प्रभाव से काले जादू का प्रभाव भी दूर हो जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में राहु के प्रभाव के कारण जीवन में क्रोध और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। इससे व्यक्ति के दिमाग पर जोर पड़ता है और निर्णय लेने में कठिनाई होती है। ऐसे में गोमेद रत्न को धारण करने से राहु का दुष्प्रभाव कम होता है।
कैसे धारण करें गोमेद रत्न / गोमेद रत्न किस उंगली में धारण करें / गोमेद रत्न धारण करने का मंत्र
ज्योतिष के अनुसार, गोमेद रत्न का वजन 6 रत्ती से कम नहीं होना चाहिए। गोमेद रत्न को चांदी या फिर अष्टधातु की बनी अंगूठी पर बनवाकर पहन सकते हैं। इस रत्न को आर्दा, शतभिषा, स्वाति नक्षत्र के अलावा शनिवार के दिन पहनना शुभ माना जाता है। अगर आप शनिवार के दिन गोमेद रत्न को धारण कर रहे हैं तो एक दिन पहले यानी शुक्रवार की रात अंगूठी को गंगाजल, दूध, और शहद का घोल बनाकर उसमें डाल दें। अगले दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और इसे दूध से निकालकर गंगाजल से धोकर साफ कपड़े से पोंछ लें। इसके बाद राहु के मंत्र ‘ऊँ रां राहवे नम:’ का 108 बार जाप करके गोमेद को मध्यमा अंगुली में धारण कर लें।
गोमेद के साथ भूलकर भी न पहनें ये रत्न
अगर आप गोमेद रत्न धारण करने जा रहे हैं तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि गोमेद के साथ माणिक्य, मूंगा और पुखराज रत्न को नहीं पहनना चाहिए। वरना गोमेद के शुभ फल की जगह अशुभ फल मिलने लगते हैं। गोमेद पहनने से कुंडली में न सिर्फ राहु शांत होता है। बल्कि इससे चंद्र दोष भी दूर होते हैं और शनि ग्रह का दुष्प्रभाव भी कम होता है।