मेष संक्रांति 2025:-
सनातन धर्म में संक्रांति तिथि का अति विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य देव राशि परिवर्तन करते हैं। वर्तमान समय में सूर्य देव मीन राशि में विराजमान हैं। इसके चलते खरमास लगा हुआ है। ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे। अतः चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मेष संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन अति पुण्यकारी गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। साथ ही पूजा, जप-तप कर दान-पुण्य करते हैं। इसके अलावा, संक्रांति तिथि पर पितरों का तर्पण भी किया जाता है। धार्मिक मत है कि संक्रांति तिथि पर सूर्य देव की उपासना करने से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं।
मेष संक्रांति 2025 तारीख और समय :-
वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 अप्रैल को मेष संक्रांति मनाई जाएगी। 14 मार्च को पुण्य काल सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 05 मिनट तक है।
मेष संक्रांति शुभ योग :-
मेष संक्रांति पर अभिजीत मुहूर्त का संयोग है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 56 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है। इस समय में पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही कौलव, तैतिल और गर करण के संयोग हैं।
मेष संक्रांति पर पूजा करे:-
मेष संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। सूर्य पूजा: सूर्यदेव को जल, फूल, फल और मिठाई अर्पित करें. गायत्री मंत्र का जाप: सूर्यदेव का गायत्री मंत्र का जाप करें. दान: दान-पुण्य करना इस दिन बहुत ही शुभ माना जाता है।
मेष संक्रांति का महत्व :-
इस दिन से शुभ कामों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन सूर्य पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत महत्व है। इस दिन दान-पुण्य करने से दोगुना पुण्य मिलता है। इस दिन सूर्य से जुड़े चीज़ों का दान करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इस दिन उगते सूर्य को तांबे के लोटे से अर्ध्य देना चाहिए। इस दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इस दिन गरीबों और ज़रूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या दान देना चाहिए। मेष संक्रांति पर किए गए शुभ काम का कई गुना पुण्य मिलता है और इसका कभी क्षय नहीं होता। मेष संक्रांति के दिन मधुसूदन भगवान की पूजा करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। मेष संक्रांति का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. इस दिन से सौर नव वर्ष शुरू होता है और खरमास खत्म होता है. इस दिन स्नान, दान, जप, तप, और तर्पण करने से धन-धान्य और समृद्धि मिलती है।
मेष संक्रांति 2025 पर करे उपाय :-
मेष संक्रांति पर तांबे के दान का विशेष महत्व बताया गया है। तांबे का संबंध सूर्य से माना गया है। इस दिन तांबे का दान करें और तांबे के लोटे से सूर्य को अर्ध्य भी देना चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और बिगड़े काम भी आसानी से बन सकते हैं। साथ ही बुद्धि और बल का विकास होता है।
मेष संक्रांति पर तांबे के अलावा आप गुड़ और चावल का भी दान कर सकते हैं। गुड़ का संबंध सूर्य और मंगल ग्रह से भी है। मेष संक्रांति पर ‘ॐ घूणि: सूर्य आदित्य:’ मंत्र का जप करते हुए गुड़ का दान करने से जीवन में मधुरता आती है और परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बना रहता है। इसका दान करने से आपके सम्मान की रक्षा होती है और कार्यक्षेत्र में अच्छी तरक्की होती है।
मेष संक्रांति पर आप गेहूं का भी दान कर सकते हैं। साथ ही इस दिन सत्तू पीने और दान करने का भी रिवाज है। इस दिन अपने वजन के बराबर गेहूं का दान करने से सूर्यदेव की कृपा बनी रहती है और घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। साथ ही नौकरी व व्यापार में अच्छी तरक्की होती है।
मेष संक्रांति पर सुबह साफ कपड़े पहनकर सूर्य को अर्ध्य दें और गरीब व जरूरतमंद को मसूर दाल का दान करें। ऐसा करने से कुंडली में सभी ग्रहों का दोष दूर होता है और घर में धन धान्य की कमी नहीं होती। मसूर दाल का दान करने से पारिवारिक सदस्यों के सम्मान में वृद्धि होती है और समृद्धि बनी रहती है।
मेष संक्रांति पर लाल चीजें, जैसे – लाल फूल, लाल चंदन, लाल कपड़े आदि का दान करना बहुत शुभ माना गया है। साथ ही आप सूर्य देव के सिद्ध मंत्र का जप लाल चंदन की माला से कर सकते हैं। मान्यता है कि इन चीजों के दान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और पराक्रम में वृद्धि होती है।
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