उगादी 2025:-
उगादी का त्योहार दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहार में से एक होता है। ये पर्व कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के राज्यों में नये साल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से दक्षिण नववर्ष की शुरुआत होती है। ग्रागेरियन कैलेंडर के अनुसार उगादी का पर्व मार्च या अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। हिंदी महीने के अनुसार ये त्योहार चैत्र मास में मनाया जाता है। उगादी का त्योहार दक्षिण भारत में बहुत ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। आइए जानें साल 2025 में उगादी का त्योहार किस दिन मनाया जाएगा और इसके महत्व के बारे में।
गुड़ी पड़वा को कई नामों से जाना जाता है
जैसे कि उगादी, युगादि, संवत्सर पड़वो, नवरेह, चेती चंड, और साजिबू नोंग्मा पानबा. अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। गुड़ी पड़वा को अलग-अलग राज्यों में इन नामों से जाना जाता है । आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और कर्नाटक में इसे उगादी कहते हैं। कश्मीर में इसे नवरेह कहते हैं। मणिपुर में इसे साजिबू नोंग्मा पानबा कहते हैं। गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग इसे संवत्सर पड़वा कहते हैं । गुजरात में इसे नवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है।
2025 में उगादी कब है :-
हिंदू पंचांग के अनुसार उगादी का त्योहार हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल इस तिथि की शुरुआत 29 मार्च को शाम 4 बजकर 29 मिनट पर होगा। वहीं इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल उगादी का पर्व 30 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।
उगादी पूजा विधि:-
उगादी के दिन सुबह उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद घर की साफ सफाई करके ब्रह्मा जी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके साथ ही ब्रह्मा जी के मंदिर में जाकर फूल, अक्षत और धूप दीप अर्पित किया जाता है।फिर ब्रह्मा जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए और आरती करना चाहिए।
उगादी 2025 का महत्व :- उगादी के दिन तेलुगु नव वर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन तेल लगाकर स्नान किया जाता है और नीम के पत्ते खाये जाते हैं। शास्त्र के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने उगादी के दिन ही ब्रह्मांड का निर्माण किया था। उगादी का पर्व हर क्षेत्र में अलग- अलग तरीके से मनाया जाता है। बंगाल में इस पर्व को पोइला बोइशाक के नाम से जाना जाता है। इस दिन सारे लोग नृत्य, संगीत और नाटक सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जाता है।
उगादी का त्योहार क्यों मनाया जाता है
उगादी का पर्व दक्षिण भारत के नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार शिव जी के श्राप के कारण ब्रह्मा जी की पूजा कहीं नहीं की जाएगी, लेकिन उगादी के दिन दक्षिण भारत में ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि उगादी के दिन ब्रम्हा जी ब्रह्माण्ड की रचना शुरु की थी। इस पर्व को लेकर अलग- अलग मान्यताएं हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इसी दिन राम जी का राज्यभिषेक किया था और भगवान विष्णु मतस्य अवतार में अवतरित हुए थे। आज के समय में ये पर्व किसानों द्वारा नई फसल की उगाई के रूप में मनाया जाता है।